इस्लामाबादः पाकिस्तान में सियासी घमासान के इसी बीच कार्यवाहक प्रधानमंत्री इमरान खान आज दोपहर 3:30 बजे देश को संबोधित करेंगे। यहां पर रविवार को नेशनल असेंबली कार्यवाही 10 मिनट भी नहीं चली। डिप्टी स्पीकर कासिम खान सूरी ने इमरान के खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके कुछ देर बाद इमरान खान की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने नेशनल असेंबली भंग कर दी। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है, जिस पर आज सुनवाई होगी। उधर, विपक्ष ने भी साफ कर दिया है कि वह हार नहीं मानेगा और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपनी रणनीति तय करेगा।

इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान जस्टिस उमर अता बंदियाल ने मामले पर खुद संज्ञान लिया और स्पीकर, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति समेत कई लोगों को नोटिस जारी किया। इस मामले में सोमवार को सुनवाई होगी। जस्टिस बांदियाल ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट संसद के मामलों में एक हद तक दखल देने का अधिकार रखता है।“

आपको बता दें कि जस्टिस बांदियाल की टिप्पणी इसलिए अहम हो जाती है, क्योंकि इमरान सरकार में दो दिन पहले ही कानून मंत्रालय का प्रभार लेने वाले फवाद चौधरी ने कहा था कि संसद सबसे ऊपर है और इसके फैसलों को सुप्रीम कोर्ट या किसी और कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती।

उधर, अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने के बाद विपक्ष के तमाम नेता संसद में ही बैठ गए। बाद में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने दो टूक लफ्जों में कहा कि इमरान खान घमंड से चूर हैं। उन्होंने लोकतंत्र की हत्या की है। अब हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस मुल्क को संवैधानिक अधिकार दिलाएगा। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे। अगर वह चुनाव में जाने को कहता है तो हम तैयार हैं, लेकिन अगर अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग का मामला आता है तो हम उसका स्वागत करेंगे।

वहीं पाकिस्तान के संविधान विशेषज्ञ डॉक्टर मुर्तजा अहमद ने बताया कि राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन के बाद अब इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं रह गए हैं। दूसरी बात, नेशनल असेंबली भंग कर दी गई है, लिहाजा वह सत्ताधारी पार्टी के संसदीय नेता भी नहीं बचे। आर्टिकल 224 के मुताबिक, एक बार जब प्रेसिडेंट नोटिफिकेशन जारी कर देता है तो प्रधानमंत्री की सिलेक्टिव एडमिनिस्ट्रेटिव पावर्स खत्म हो जाती हैं। मायने ये कि अब इमरान खान 15 दिन तक ही प्राइम मिनिस्टर रहेंगे। वो कोई बड़ा नीतिगत फैसला नहीं ले सकेंगे। इसके बाद बाकी वक्त या चुनाव होने तक केयरटेकर गवर्नमेंट बनेगी। इसे इमरान लीड नहीं कर सकेंगे।

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