दिल्लीः जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर पूरे देश में आक्रोश है। केंद्र सरकार ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है। वहीं, मारे गए लोगों के पार्थिव शरीर उनके पैतृक निवास पर पहुंच रहे हैं। वहां उनके अंतिम संस्कार कराए जा रहे हैं।
इस बीच भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हुए आतंकवादी हमले के लिए पाकिस्तान कि जिम्मेदार माना है। पहलगाम हमले के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सिंधु जल संधि को रद्द करने और अटारी चेक पोस्ट को बंद करने सहित पांच बड़े फैसले लिए हैं।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले को लेकर केंद्र सरकार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं। गृह मंत्री अमित शाह व राजनाथ ने कई दलों के नेताओं से इस पर चर्चा की है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने पहलगाम के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक की मांग की थी।
सूत्रों ने बताया कि राजनाथ के साथ सीडीएस और तीनों रक्षा सेवाओं के प्रमुखों की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ उठाए जा सकने वाले सैन्य कदमों पर चर्चा हुई। बाद में राजनाथ ने इन कदमों की जानकारी सीसीएस बैठक में पीएम मोदी व अन्य मंत्रियों के साथ साझा की। राजनयिक कदमों के अलावा पाकिस्तान को जल्द ही किसी सैन्य कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।
पाकिस्तान को सबस सिखाने के लिए सरकार ने जो पांच अहम फैसले लिये हैं, उनमें 65 साल पुरानी सिंधु जल संधि को रोकना, अटारी चेक पोस्ट बंद करना, पाकिस्तान के लिए वीजा बंद करना और उच्चायुक्तों को हटाना शामिल है। आइए अब आपको बताते हैं कि भारत सरकार के इन फैसलों का पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा…
सिंधु जल संधि: 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच 6 नदियों का पानी बांटने को लेकर एक समझौता हुआ था, जिसे सिंधु जल संधि कहते हैं। समझौते के तहत भारत को तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलुज) का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) का इस्तेमाल करने की परमिशन दी गई।
समझौते का मकसद: सिंधु जल समझौते का मकसद था कि दोनों देशों में जल को लेकर कोई संघर्ष न हो और खेती करने में बाधा न आए। हालांकि भारत ने हमेशा इस संधि का सम्मान किया, जबकि पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने के आरोप लगातार लगते रहे हैं। भारत के पाकिस्तान से तीन युद्ध हो चुके हैं, लेकिन भारत ने कभी भी पानी नहीं रोका था, लेकिन पाकिस्तान हर बार भारत में आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार होता है।
पाकिस्तान में अब पानी का संकट होगा: पाकिस्तान की 80% खेती सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के पानी पर निर्भर है। अब भारत की तरफ से इन नदियों का पानी रोक देने से पाकिस्तान में जल संकट गहराएगा। वहां की आर्थिक स्थिति बिगड़ेगी। इसके अलावा पाकिस्तान कई डैम और हाइड्रो प्रोजेक्ट्स से बिजली बनाता है। पानी की कमी से बिजली उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जिससे आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।
अटारी चेक पोस्ट के बंद होने से पाकिस्तान के लोगों की आवाजाही तो बंद होगी। साथ ही छोटे सामानों को भारत निर्यात नहीं करेगा। इससे वहां के छोटे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान होगा।
भारत आए पाकिस्तानी नागरिकों को इस रास्ते से लौटने के लिए 1 मई तक का वक्त दिया गया है। इसके बाद वह इस रास्ते से नहीं लौट पाएंगे।
साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद से ही पाकिस्तान से द्विपक्षीय व्यापार बंद है। किसी तीसरे देश के माध्यम से भारत-पाकिस्तान के बीच आयात-निर्यात होता है। हालांकि दोनों देशों के बीच छोटे-मोटे सामानों का लेन देन होता है। जैसे- सेंधा नमक, चमड़े का सामान, मुल्तानी मिट्टी, तांबे का सामान, मिनरल मिल्स, ऊन और चूना हैं।
भारत ने पाकिस्तानियों के वीजा पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं, SAARC वीजा छूट योजना से भी पाकिस्तान के लोग भारत नहीं आ पाएंगे।
फैसले का मकसद: पाकिस्तान के कई लोगों की रिश्तेदारी भारत में है। ऐसे में कई बार पाकिस्तानी लोग रिश्तेदार बनकर भारत आते हैं। इनके अलावा धार्मिक यात्राओं का बहाना करके भारत आते हैं और आतंकी हमलों को अंजाम देते हैं। ऐसे में वीजा सर्विस बंद होने से आतंकियों के भारत आने का रास्ता भी बंद हो जाएगा।
भारत ने नई दिल्ली में स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन में तैनात पाकिस्तानी मिलिट्री, नेवी और एयर एडवाइजर्स को अवांछित व्यक्ति घोषित किया है। उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक हफ्ते का समय है। 1 मई 2025 तक पाकिस्तान के हाई कमीशन में तैनात कर्मचारियों की संख्या 55 से घटाकर 30 की जाएगी। भारत ने आजादी के बाद से अब तक दिल्ली में पाकिस्तान के दूतावास को कभी भी बंद नहीं किया है।
पाकिस्तान के डिफेंस एडवाइजर्स हटाने के साथ ही भारत भी अपने मिलिट्री, नेवी और एयर एडवाइजर्स को इस्लामाबाद स्थित इंडियन हाई कमीशन से वापस बुलाएगा। संबंधित हाई कमीशन में ये पद निरस्त माने जाएंगे। दोनों उच्चायोगों से सर्विस एडवाइजर्स के 5 सपोर्ट स्टाफ को भी वापस बुलाया जाएगा।
सैन्य-डिप्लोमैटिक संवाद ठप: भारत में पाकिस्तानी रक्षा सलाहकारों की वापसी से दोनों देशों के बीच सैन्य-स्तर की बातचीत और संपर्क पूरी तरह बंद हो जाएंगे।
हाई कमीशन का प्रभाव कम होगा: स्टाफ की संख्या घटकर 55 से 30 हो जाने से पाकिस्तानी उच्चायोग की कार्यक्षमता और भारत में उसकी कूटनीतिक मौजूदगी सीमित हो जाएगी।