पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक इस्लामवादी पार्टी के प्रमुख की गिरफ्तारी के बाद हुई हिंसक झड़पों में दो प्रदर्शनकारियों और एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई. यह जानकारी एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और स्थानीय मीडिया ने दी. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी गुलाम मोहम्मद डोगर ने बताया कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के प्रमुख साद रिज़वी को सोमवार (12 अप्रैल) को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद उनके समर्थकों के साथ रात में हुई झड़पों में एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई. उन्होंने बताया कि लाहौर के पास शाहदरा कस्बे में झड़पों में 10 पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं. इस हिंसा में 800 भारतीय फंसे हुए हैं.
पंजाब प्रांत में दो इस्लामवादियों के मारे जाने की सूचना है. रिज़वी ने धमकी दी थी कि अगर सरकार पैगंबर मोहम्मद का चित्र प्रकाशित किये जाने को लेकर फ्रांस के राजदूत को निष्कासित नहीं करती है तो प्रदर्शन शुरू किए जाएंगे. इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और सोमवार को हिंसा शुरू हो गई.
डोगर के मुताबिक, रिज़वी की गिरफ्तारी कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए की गई थी, लेकिन रिज़वी को हिरासत में लेने के बाद उनके इस्लामवादी समर्थकों ने देश के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन किए. प्रदर्शनकारियों ने कई शहरों में राजमार्गों और सड़कों को अवरूद्ध कर दिया.
झड़पों से दो दिन पहले रिज़वी ने एक बयान में प्रधानमंत्री इमरान खान नीत सरकार से कहा था कि वह पैगंबर मोहम्मद का चित्र प्रकाशित जाने को लेकर 20 अप्रैल से पहले फ्रांस के राजदूत को निष्कासित करने के लिए उनकी पार्टी से फरवरी में किए गए वादे का सम्मान करे. हालांकि,सरकार का कहना है कि वह सिर्फ संसद में इस विषय पर चर्चा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
गिरफ्तारी के खिलाफ रिज़वी के समर्थकों की प्रतिक्रिया इतनी त्वारित थी कि पुलिस लाहौर में मुख्य राजमार्ग और सड़कों को खुलवा नहीं सकी है. हजारों लोग अपनी गाड़ियों के साथ फंसे हुए हैं. झड़पों की शुरूआत सोमवार को सबसे पहले लाहौर में हुई. इसके बाद रिज़वी के समर्थकों की झड़प सिंध प्रांत के कराची शहर में पुलिस से हुई. उन्होंने इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में भी प्रदर्शन किए हैं, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा है.
करीब 800 से ज्यादा भारतीय सिख टीएलपी द्वारा सड़क जाम करने की वजह से प्रभावित हैं. पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने बताया, ‘ रावलपिंडी के हसनाबदल में गुरुद्वारा पंजा साहिब में वैशाखी उत्सव में शामिल होने के लिए सोमवार को आए भारतीय सिखों का जत्था इस विरोध प्रदर्शन की वजह से गुरुद्वारा नहीं पहुंच पाया है.’ इस खबर के लिखे जाने तक भी सिख श्रद्धालु हसनाबदल नहीं पहुंचे हैं. गुरुद्वारा में मुख्य कार्यक्रम बुधवार को है.