दिल्लीः 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी जलाने के 08 दोषियों को शुक्रवार को जमानत दे दी। उम्र कैद की सजा काट रहे इन दोषियो को कोर्ट ने जेल में बिताए गए 17-18 साल के समय और अपराध में उनकी भूमिका के मद्देनजर रिहा करने का फैसला लिया। वहीं, अन्य 04 दोषियों को जमानत देने से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पादरीवाला की बेंच ने इन जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। आपको बता दें कि इस मामले में कुल 31 दोषी थे, जिनमें से 15 की जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है। वहीं 08 दोषियों को आज जमानत मिल गई है। 07 लोगों की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। वहीं एक दोषी को पिछले साल दिसंबर में ही जमानत मिल गई थी।
वहीं, गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मांग की थी कि जिन दोषियों की मौत की सजा उम्रकैद में बदली गई, उन्हें दोबारा से मौत की सजा दी जाए। ये कोई ट्रेन पर पत्थर फेंकने जैसा आम मामला नहीं है। ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला है। इसमें 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था, जिनमें महिलाएं-बच्चे भी शामिल थे।
आपको बता दें कि इसी मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उन 11 दोषियों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी थीं, जिन्हें ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में 31 लोगों को दोषी ठहराया था। इनमें से 11 लोगों को मौत की सजा दी गई थी, वहीं 20 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद दोषियों ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने भी सभी 31 लोगों को दोषी माना था। हालांकि मौत की सजा पाए 11 लोगों की सजा उम्रकैद में बदल दी थी।