पणजीः गोवा कांग्रेस में फूट पड़ गई है। पार्टी के 11 में से 8 विधायक बुधवार को पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। ये सभी विधायक मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ विधानसभा पहुंचे और विधानसभा अध्यक्ष रमेश तावड़कर को कांग्रेस से अलग होने की चिट्ठी सौंपी। इसके तुरंत बाद गोवा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सदानंद तनवड़े की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए। तनवड़े ने इन सभी विधायकों को बीजेपी की सदस्यता दिलाई।
कांग्रेस छोड़ने वाले विधायकों में गोवा के पूर्व पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत, माइकल लोबो, देलिया लोबो, केदार नाइक, राजेश फलदेसाई, एलेक्सो स्काइरिया, संकल्प अमोलकर और रोडोल्फो फर्नांडीज शामिल है। आपको बता दें कि बागी विधायकों की संख्या पार्टी के कुल विधायकों की संख्या के दो-तिहाई से ज्यादा है। इस वजह से इन विधायकों पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा।
वहीं गोवा कांग्रेस में टूट के बाद पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि बीजेपी कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से डर गई है और ऑपरेशन कीचड़ करने में जुटी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखा कि बीजेपी सिर्फ तोड़ सकती है। वहीं कांग्रेस प्रभारी दिनेश गुंडूराव ने लिखा कि पैसे और सत्ता के दम पर लोकतांत्रिक सिद्धांतों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
अब आपको उन गलतियों के बारे में बताते हैं, जिसके वजह से विधानसभा चुनाव के छह महीने बाद ही पार्टी में टूट पड़ गई। आपको ब7ता दें कि 10 मार्च 2022 को गोवा विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे। इनमें कांग्रेस को 40 में से 11 सीटें मिली थीं, लेकिन अब छह महीने बाद पार्टी टूट गई है। इसकी मुख्य वजह निम्मनिलिखित हैं…
- कांग्रेस ने चुनाव परिणाम आने के बाद बाहर से आने वाले माइकल लोबो को नेता प्रतिपक्ष बनाया। लोबो चुनाव से पहले ही पार्टी में शामिल हुए थे। नेता प्रतिपक्ष की रेस में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले के खिलाफ थे। उनकी नाराजगी को देखकर तय माना जा रहा था कि कांग्रेस में टूट होगी।
- कांग्रेस हाईकमान ने गोवा में हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष गिरीश चोडनकर से इस्तीफा ले लिया, लेकिन प्रदेश प्रभारी दिनेश गुंडूराव पर कोई कार्रवाई नहीं की। गुंडूराव से पार्टी के कई सीनियर चुनाव के पहले से नाराज चल रहे थे। इसी वजह से पार्टी ने पी चिदंबरम को कांग्रेस का ऑब्जर्वर बनाकर भेजा था।
- गोवा कांग्रेस के नए अध्यक्ष अमित पाटकर को लेकर भी पार्टी में गुटबाजी तेज हुई थी, जिसका असर राष्ट्रपति चुनाव में दिखा। पार्टी के 4 विधायकों ने उस वक्त क्रॉस वोटिंग की थी। कांग्रेस ने इस पर भी डैमेज कंट्रोल का कदम नहीं उठाया।
- आप को बता दें कि इसी साल जुलाई में कांग्रेस ने पार्टी विरोधी साजिश में शामिल होने का आरोप लगाकर दिगंबर कामत और माइकल लोबो पर कार्रवाई की थी। उस वक्त कांग्रेस टूट से बचने के लिए अपने 5 विधायकों को चेन्नई शिफ्ट कर दिया था।
- आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने कांग्रेस के सभी उम्मीदवारों को 5 साल तक पार्टी नहीं छोड़ने की शपथ दिलाई थी। कांग्रेस ने इस दौरान सभी उम्मीदवारों से एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर भी करवाए थे। हलफनामा देते हुए विधायकों ने कहा था कि 5 साल तक पार्टी नहीं छोड़ेंगे और कांग्रेस में रहकर गोवा की जनता का सेवा करते रहेंगे।
इससे पहले 2019 में कांग्रेस के 15 में से 10 विधायक बीजेपी में शामिल हुए थे। इसमें नेता विपक्ष चंद्रकांत कावलेकर भी शामिल थे। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कांग्रेस के सभी बागी विधायकों को बीजेपी में शामिल करवाया था।