दिल्लीः अब आपको होम लोन की ईएमआई बढ़ जाएगी। यानी अब आपको अपने होम लोन पर अधिक ब्याज देना पड़ेगा। बढ़ती महंगाई से चिंतित आरबीआई (RBI) यानी भारतीय रिजर्व बैंक रेपो रेट में 0.50 फीसदी इजाफा किया है। इसके बाद रेपो रेट 4.90 प्रतिशत से बढ़कर 5.40 फीसदी  हो गई है। इसका सीधा असर होम लोन से लेकर ऑटो और पर्सनल लोन सब पर पड़ेगा। आपको बता दें कि ब्याज दरों पर फैसले के लिए 3 अगस्त से मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग चल रही थी। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीटिंग में लिए फैसलों की जानकारी दे रहे हैं।

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की पीसी की अहम बातें-

  • रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला लिया गया
  • FY23 रियल जीडीपी (GDP) या सकल घरेलू उत्पाद ग्रोथ 7.2 फीसदी पर बरकरार रहने के आसार
  • सप्लाई बढ़ने से खाने के तेल की कीमतों में कमी
  • FY23 में महंगाई दर 6.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद
  • करेंट अकाउंट डेफिसिट चिंता की बात नहीं
  • भारतीय अर्थव्यवस्था पर महंगाई का असर
  • ग्लोबल स्तर पर महंगाई चिंता का विषय
  • MSF 5.15 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.65 फीसदी की
  • MPC बैठक में अकोमोडेटिव रुख वापस लेने पर फोकस
  • अप्रैल के मुकाबले महंगाई में कमी आई
  • शहरी मांग में सुधार देखने को मिल रहा है
  • बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ में सालाना 14% की बढ़ोतरी
  • बेहतर मानसून से ग्रामीण मांग में बढ़ोतरी संभव

आपको बता दें कि रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI से बैंकों को कर्ज मिलता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को RBI के पास पैसा रखने पर ब्याज मिलता है। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी ग्राहकों के लिए ब्याज दरों को कम करते हैं। इससे EMI भी घटती है। इसी तरह जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज महंगा हो जाता है।

होम लोन की ब्याज दरें 2 तरह से होती हैं पहली फ्लोटर और दूसरी फ्लेक्सिबल। फ्लोटर में आपके लोन कि ब्याज दर शुरू से आखिर तक एक जैसी रहती है। इस पर रेपो रेट में बदलाव का कोई फर्क नहीं पड़ता। वहीं फ्लेक्सिबल ब्याज दर लेने पर रेपो रेट में बदलाव का आपके लोन की ब्याज दर पर भी फर्क पड़ता है। ऐसे में अगर आपने पहले से फ्लेक्सिबल ब्याज दर पर लोन ले रखा है तो आपके लोन की EMI भी बढ़ जाएगी।

आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। इस वित्त वर्ष की पहली मीटिंग अप्रैल में हुई थी। तब RBI ने रेपो रेट को 4 फीसदी पर स्थिर रखा था। लेकिन RBI ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था। 22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में ये बदलाव हुआ था। इस वित्त वर्ष की पहली मीटिंग 6-8 अप्रैल को हुई थी। इसके बाद 6 से 8 जून को हुई मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत इजाफा किया है। इससे रेपो रेट 4.40 फीसदी से बढ़कर 4.90 प्रतिशत हो गई थी। अब अगस्त में इसे 0.50 फीसदी बढ़ाया गया है जिससे ये 5.40 फीसदी पर पहुंच गई है।

आपको बता दें कि रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का RBI के पास एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलेने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देंगे। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होगा। मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आएगी और महंगाई घटेगी।

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