दिल्लीः आज राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान है। मतगणना 21 जुलाई को होगी। सत्तारूढ़ एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू और विपक्षी दलों ने पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी बनाया है। राष्ट्रपति पद के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार द्रौपदी की जीत पहले से ही पक्की थी।, लेकिन बीजेपी ने अपने प्रत्याशी को ज्यादा से ज्यादा वोट से जिताने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया।
बीजेपी की कोशिशों का नतीजा है कि कई विपक्षी दल जो पहले मुर्मू के खिलाफ दिखाई दे रहे थे, अब पक्ष में आ गए हैं। सत्ता पक्ष का खिंचाव कुछ ऐसा ही होता है। अच्छे-अच्छों को पक्ष में आना पड़ता है। सो आ गए।
कांग्रेस अच्छी तरह जानती है कि इस चुनाव में सत्ता पक्ष के प्रत्याशी की जीत तय है फिर भी गोवा के 11 में से पांच विधायकों को उसने चेन्नई में छिपा दिया। दरअसल उसे डर है कि इन्हें बीजेपी अपनी तरफ तोड़ सकती है।
हालांकि, इससे मुर्मू की जीत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन कांग्रेस अपनी नाक बचाने के लिए ऐसा कर रही है। उसकी अगुआई में खड़े किए गए विपक्षी प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने की बजाय उसके ही विधायक टूट जाएं तो बदनामी तो होगी ही। आगे किसी मौके पर फिर अन्य विपक्षी दल कांग्रेस की क्यों सुनेंगे? चलिए अब आपको समझाते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में वोटों का गणित-
राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी अब तक कई दलों को तोड़ चुकी है। बीजेपी के पास 5,61,825 वोट (मत मूल्य) शुरुआत में ही थे। अब वे बढ़कर 6. 67 लाख यानी 61फीसदी हो गए हैं। विपक्ष के पास शुरुआत में 4,80,748 वोट थे, जो अब घटकर केवल 4,19,000 रह गए हैं। आपको बता दें कि इस चुनाव में देशभर के निर्वाचित सांसद और सभी राज्यों के निर्वाचित विधायक वोट डालते हैं। इनकी कुल संख्या 4800 है।
अब सवाल किया जा सकता है कि वोटर ही जब 4,800 हैं तो मत संख्या लाखों में कैसे? दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में मत संख्या की बड़ी माथापच्ची होती है। विधायकों का मतमूल्य अलग-अलग राज्यों में अलग अलग होता है। किसी भी राज्य के विधायकों की कुल संख्या में पहले हजार का गुणा कीजिए और जो संख्या आए उसका राज्य की कुल जनसंख्या में भाग दे दीजिए।
परिणाम जो आएगा वही एक विधायक का मतमूल्य होता है। सांसद का मतमूल्य निकालना और भी टेढ़ी खीर है। पहले हर राज्य के एक विधायक का मतमूल्य निकालिए। सभी राज्यों के एक- एक विधायक के मतमूल्य को जोड़िए और फिर इस संख्या में सांसदों की कुल संख्या (लोकसभा तथा राज्यसभा के कुल निर्वाचित सदस्य) का भाग दीजिए।
जो परिणाम आएगा वही एक सांसद का मतमूल्य होगा। इस प्रक्रिया को इतना जटिल इसलिए बनाया गया ताकि राष्ट्रपति के चुनाव में राज्यों की दोहरी भागीदारी हो।