दिल्लीः गौतम अडाणी के ग्रुप ने अपने पार्टनर गैडोट के साथ मिलकर इजराइल के हाइफा पोर्ट के प्राइवेटाइजेशन की बोली जीत ली है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक पोर्ट में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी एशिया के सबसे अमीर बिजनेसमैन गौतम अडाणी पोर्ट के पास होगी, जबकि 30 फीसदी शेयर गैडोट के पास होंगे। आपको बता दें कि गैडोट इजराइल में केमिकल और लॉजिस्टिक्स का बड़ा ग्रुप है। वहीं, मेडिटेरियन कोस्ट पर स्थित हाइफा पोर्ट इजराइल का एक मेजर ट्रेड हब है।
बिजनेसमैन गौतम अडाणी ने गुरुवार को ट्वीट कर बोली जीतने की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, “हमारे पार्टनर गैडोट के साथ मिलकर इजराइल के हाइफा पोर्ट के प्राइवेटाइजेशन के लिए बोली जीतने की खुशी है। ये पोर्ट दोनों देशों के लिए अत्यधिक स्ट्रैटेजिक और हिस्टोरिक महत्व वाला है।’ हाइफा में होने पर गर्व है, जहां भारतीयों ने 1918 में नेतृत्व किया।“
Historic win for an Indian Company! Privatisation is the need of hour in Countries all over goobe. In India too Privatization is being done. Which is a good thing. We should not get involved in politically motivated talks about privatisation.#Israel#haifaport https://t.co/D6gWINRfpb
— Sidharth Rajput (@LegitSidharth) July 14, 2022
गौतम अडाणी ने इजराइल की गैडोट के साथ मिलकर इस बिड के लिए 4.1 बिलियन शेकेल यानी 94 अरब रुपए की बोली लगाई थी। इन दोनों कंपनियों ने मिलकर बिड में शामिल अन्य कंपनियों डीएओ, इजराइल शिपयार्ड और शाफिर इंजीनियरिंग को पीछे छोड़ दिया। अब अडाणी ग्रुप और गैडोट अगले 32 साल यानी 2054 तक इस पोर्ट का संचालन करेंगे।
इस डील को लेकर इजराइल के वित्त मंत्री एविग्डोर लिबरमैन ने कहा कि यह इजराइल के नागरिकों के लिए बेहद अच्छी खबर है। हाइफा के बंदरगाह के प्राइवेटाइजेशन से बंदरगाहों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इस तरह जीवनयापन की लागत कम होगी।
आपको इजराइल का सबसे बड़ा बंदरगाह अशदोद है। वहीं हाइफा दूसरे नंबर पर है। 2021 में इजराइल में सभी कंटेनर कार्गो का लगभग 47 प्रतिशत हिस्सा हाइफा बंदरगाह से ही गुजरा था। पैसेंजर ट्रांसपोर्टेशन के मामले में हाइफा इजराइल का मुख्य बंदरगाह है। 2021 में हाइफा का रेवेन्यू 845 मिलियन शेकेल (करीब 19,29 करोड़ रुपए) और शुद्ध लाभ 271 मिलियन शेकेल (करीब 619 करोड़ रुपए) था।
अब अडाणी-गैडोट टीम को पिछले साल ओपन किए गए नए पोर्ट से कॉम्पिटिशन का सामना करना पड़ेगा। शंघाई इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप (SIPG) इसे ऑपरेट करता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इजराइल का इंपोर्ट और एक्सपोर्ट बड़े पैमाने पर समुद्री मार्ग पर निर्भर है इसलिए दोनों ही पोर्ट प्रॉफिटेबल रहेंगे।
आपको बता दें कि कंपनी के चीफ एक्जीक्यूटिव करण अडाणी ने मई में कहा था कि अडाणी पोर्ट्स प्रीमियर ग्लोबल पोर्ट ग्रुप बनना चाहता है। ऐसे में इजराइल के इस पोर्ट की कमान मिलना इस ग्रुप के सफर का काफी अहम पड़ाव साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इंपोर्ट और एक्सपोर्ट के लिए समुद्री मार्ग पर निर्भर होने के कारण इजराइली सरकार इस सेक्टर को अपग्रेड कर रही है। पड़ोसी अरब देशों के साथ बढ़ते संबंध भी इजराइल के लिए नए व्यापार अवसर पैदा कर रहे हैं और हाइफा एक रीजनल हब बनने के लिए तैयार है। इसका फायदा अडाणी ग्रुप को मिलेगा।
अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ Ltd.) भारत का सबसे बड़ा निजी पोर्ट ऑपरेटर और एंड-टू-एंड लॉजिस्टिक्स प्रोवाइडर है। दो दशकों से भी कम समय में, इसने पूरे भारत में बंदरगाहों के बुनियादी ढांचे और सेवाओं के एक पोर्टफोलियो का निर्माण, अधिग्रहण और विकास किया है। इसके 13 स्ट्रैटेजिकली लोकेटेड पोर्ट्स और टर्मिनल देश की बंदरगाह क्षमता का 24% का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसे 26 मई 1998 को इनकॉर्पोरेट किया गया था। पहले इसका नाम गुजरात अडाणी पोर्ट लिमिटेड (GAPL) था। आडानी ग्रुप का इस समय इन बंदरगाहों पर कब्जा है-
- मुंद्रा पोर्ट गुजरात (देश का सबसे बड़ा कॉमर्शियल पोर्ट)
- तुना टर्मिनल गुजरात
- दाहेज पोर्ट गुजरात
- हाजिरा पोर्ट गुजरात
- मोरमुगांव गोवा
- विजहिंजम पोर्ट केरल
- कट्टूपल्ली पोर्ट तमिलनाडु
- एन्नोर टर्मिनल तमिलनाडु
- वाइजैग टर्मिनल आंध्र प्रदेश
- धामरा पोर्ट ओडिशा
- दीघी पोर्ट महाराष्ट्र
- कृष्णापट्टनम पोर्ट आंध्र प्रदेश
- गंगावरम पोर्ट आंध्र प्रदेश
गौतम अडाणी ने साल 1992 में अडाणी एक्सपोर्ट नाम से आयात-निर्यात की शुरुआत की थी। तब एक अंग्रेजी वाक्य दिल को छू गया, ‘Growth with Goodness.’ इसी विजन के साथ हम देश के 20 बंदरगाहों के जरिए कारोबार करते थे। 1995 में भारत सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निजी क्षेत्र आकर्षित करने की घोषणा की। मुंद्रा पोर्ट विकसित हुआ और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में समूह का प्रवेश हुआ। पोर्ट के आसपास हमारे पास बड़े पैमाने पर जमीन थी। साल 2006-07 में बड़ा विद्युत संकट पैदा हुआ। सरकार ने विद्युत कानूनों में संशोधन किए। तब मुंद्रा पोर्ट के पास अडाणी पावर प्लांट लगाया।