सांकेतिक तस्वीर

दिल्‍लीः कोरोना वायरस का ‘ओमीक्रोन’ वेरिएंट काफी तेजी से पैर पसार रहा है। मौजूदा समय में पूरी दुनिया इससे सहमी हुई है। हालांकि इसके लक्षण बाकी वेरिएंट्स की तुलना में हल्‍के हैं। अब सवाल उठता है कि ऐसा क्‍यों है? एक स्‍टडी की मानें तो वायरस अपने आप को ‘इंसानों जैसा’ लुक देने की कोशिश कर रहा है। यह म्‍यूटेशन का नतीजा है। अनुसंधान के मुताबिक म्‍यूटेशन के दौरान इसने किसी और वायरस, शायद आम सर्दी वाले वायरस के जेनेटिक मैटीरियल का कुछ हिस्‍सा ले लिया। कैम्ब्रिज यूनीवर्सिटी के वेंकी सौंदर्यराजन की अगुवाई में हुई स्‍टडी के अनुसार, यह म्‍यूटेशन किसी ऐसी कोशिका में हुआ जो SARS-CoV-2 और आम सर्दी वाले वायरस, दोनों को होस्‍ट कर सकती है।

इस म्‍यूटेशन का मतलबः

अनुसंधान के अनुसार इसका मतलब है कि यह वायरस तेजी से फैल सकता है, लेकिन  बीमारी हल्‍की होगी या फिर एसिम्‍पटोमेटिक रहेंगे। ओमिक्रॉन की खासियतें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि यह वायरल रीकॉम्बिनेशन का नतीजा है, जो कि दो अलग-अलग वायरसों के एक ही होस्‍ट सेल में इंटरऐक्‍ट करने को कहते हैं। इसी दौरान वह अपनी कॉपी बनाते रहते हैं, इसी में वैसी कॉपियां भी बनती हैं जिनमें दोनों ‘पैरंट वायरस’ के जेनेटिक मैटीरियल होते हैं।

अस्तित्‍व में कैसे आयाः

अध्ययन के अनुसार, ओमिक्रॉन का म्‍यूटेशन ऐसे किसी व्‍यक्ति में हुआ होगा जो दोनों पैथोजेंस से संक्रमित था। SARS-CoV-2 के एक रूप से दूसरे वायरस का जेनेटिक सीक्‍वेंस पकड़ लिया और इसी के चलते ओमिक्रॉन का जेनेटिक सीक्‍वेंस पहले के रूपों से मेल नहीं खाता। न ही उसके संक्रमण से हुए कोविड के लक्षण वायरस के पिछले वेरिएंट्स से मैच करते हैं।

शोधकर्ताओं को कहना है कि यही जेनेटिक सीक्‍वेंस कई बार एक ऐसे कोरोना वायरस (HCoV-229E) में बार-बार नजर आता है जो आम सर्दी देता है। सौंदर्यराजन ने बताया है कि  ऐसा ही जेनेटिक सीक्‍वेंस AIDS देने वाले HIV वायरस में भी दिखता है। दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों ने भी पहले इशारा किया था कि ओमिक्रॉन शायद ऐसे इंसान के शरीर में पनपा जिसका इम्‍युन सिस्‍टम HIV या इम्‍युन सिस्‍टम को कमजोर करने वाली किसी अन्‍य बीमारी से ग्रसित था।

हालांकि अभी तक उन सवालों के जवाब नहीं मिले हैं कि ओमिक्रॉन डेल्‍टा से ज्‍यादा संक्रामक है या नहीं, क्‍या यह गंभीर बीमारी देता है या फिर यह डेल्‍टा की जगह दुनिया में सबसे ज्‍यादा फैलने वाला वैरिएंट बन जाएगा। शोधकर्ता अभी इन सभी सवालों का जवाब तलाशने में जुटे हुए हैं।

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