मांगी थी दुआ, वो कबूल हो गई…दिल्ली में घर बैठे मिलेगी शराब

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नई दिल्ली.
दिल्ली सरकार ने कई वर्षों के बाद अंततः राजधानी में ऑनलाइन वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप के माध्यम से भारतीय और विदेशी शराब की होम डिलीवरी की अनुमति दे दी है। वरिष्ठ आबकारी अधिकारियों ने बताया कि नया नियम किसी भी खुदरा शराब विक्रेता को उपभोक्ता के घर पर शराब पहुंचाने का अधिकार नहीं देता है। केवल एक विशेष प्रकार के लाइसेंस धारक को शराब की होम डिलीवरी करने की अनुमति होगी। किसी भी हॉस्टल, ऑफिस और शिक्षण संस्थान को कोई डिलीवरी नहीं की जाएगी।

शराब को लेकर भारत के मध्यवर्ग में जितने पूर्वाग्रह और पाखंड हैं उनके ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक कारणों की समीक्षा एक दिलचस्प विषय हो सकता है, लेकिन इतना तो साफ़ दिखता है कि उच्च वर्ग और निम्न वर्ग दोनों में यह वर्जित तरल नहीं है। शराब पीकर गंवाने के लिए निम्न वर्ग के लोगों के पास कुछ नहीं होता, अमीर आदमी को शराब पीने के लिए घर-बार बेचना नहीं पड़ता लेकिन मध्य वर्ग शराब को लेकर गहरी चिंता में घुलता जाता है। उसकी इस चिंता को दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दूर कर दी है।

चिंता में शराब निर्माता कंपनियां भी थीं। यही कारण है कि कोरोना की सेकेंड वेव के दौरान दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा के बाद शराब निर्माता कंपनियों ने अप्रैल महीने दिल्ली सरकार से घरों पर शराब की डिलीवरी करने की अनुमति मांगी थी। उनका कहना था कि कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए लॉकडाउन की घोषणा के बाद शराब की दुकानों पर पीने वालों की लंबी कतारें लग गई थीं। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए यह कतारें छीक नहीं है, इसलिए हमे घरों तक शराब पहुंचाने का ‘सुअवसर’ दिया जाए। पूरी हो गई मुराद।

इससे पहले मार्च महीने में दिल्ली कैबिनेट ने शराब पीने की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष से घटाकर 21 वर्ष करने की नई नीति को मंजूरी दी थी। शराब पीने की उम्र कम करने के लिए विपक्ष ने AAP सरकार पर हमला बोला था। विपक्ष का कहना था कि नई आबकारी नीति दिल्ली को “नशे की राजधानी” बना देगी।

दिल्ली में 863 शराब की दुकानें हैं जिनमें से 475 दुकानें चार सरकारी निगमों – दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (DSIIDC), दिल्ली टूरिज्म एंड ट्रांसपोर्टेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (DTTDC), दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन (DSCSC) और दिल्ली कंज्यूमर कोऑपरेटिव होलसेल स्टोर (DCCWS) द्वारा संचालित हैं, जबकि 389 दुकानें निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में हैं। इन 389 निजी दुकानों में से, लगभग 150 शॉपिंग मॉल में स्थित हैं।

निश्चित तौर पर यह फैसला दिल्ली के कई लोगों के लिए खुशखबरी से कम नहीं है। बताते चलें कि दिल्ली के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा शराब से आता है। यह फैसला जनता के साथ-साथ सरकार के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। इससे पहले लाइसेंस धारकों को ई-मेल या फैक्स मिलने पर ही होम डिलीवरी करने की इजाजत थी।

बता दें कि 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यों को शराब की होम डिलीवरी करने पर विचार करने को कहा था, जिसका कारण शराब की दुकानों पर लगने वाली भीड़ से निजात पाना बताया गया। दरअसल कई राज्यों में कोरोना के दौरान शराब की दुकानें खुली रही और नियमों की अनदेखी की कई तस्वीरें भी सामने आई। यही कारण था कि दूसरी लहर आते ही दिल्ली सरकार ने राज्य में शराब की दुकानें बंद करने का फैसला लिया और एक महीने से ज्यादा समय से दुकानें बंद हैं।

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