कोराना को लेकर भ्रम तोड़िए, रिश्ते नहीं, मृत देह से नहीं फैलता वायरस

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नई दिल्ली.
कोरोना से मृत लोगों का अंतिम संस्कार दहशत के बीच किया जा रहा है। परिजन ठीक से अंतिम दर्शन भी नहीं कर पा रहे हैं, मगर अब दर्शन संभव होगा। आईसीएमआर के गाइडलाइन में कहा गया है कि अगर सही तरीके से बॉडी बैग में है, तो परिजन कुछ देर अपने चेहते को देख सकते हैं। उन्हें ठीक से अंतिम विदाई दे सकते हैं। एक अध्ययन के हवाले से बताया कि अगर बॉडी को सही तरीके से पैक किया जाए तो उससे संक्रमण फैलने का खतरा न के बराबर है। एम्स के एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत 100 कोविड बॉडी पर स्टडी की गई।

देखा गया कि मृत्यु के बाद वायरस का असर अपने आप भी धीरे-धीरे खत्म होने लगता है, क्योंकि मृत कोशिकाओं में वायरस ज्यादा देर जिंदा नहीं रह सकता। यह संक्रमित व्यक्ति के छींकने और खांसने से फैलता है। मृत शरीर न तो छींक सकता है और न ही खांस। इसलिए आप पूरी सर्तकता के साथ दो मास्क लगाकर शारीरिक दूरी के नियम का पालन कर अंतिम संस्कार में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में आप मृत शरीर में कोराना को लेकर अपना भ्रम तोडि़ए, रिश्ते नहीं।

दो मास्क लगाएं और अगर मास्क नहीं है तो गमछे को कई परत कर मुंह व नाक को अच्छी तरह से ढंक लीजिए। हाथों में अगर ग्लव्स पहनने को नहीं है तो उसकी जगह पालीथिन को हाथों में अच्छी तरह बांध लीजिए। घर में पहले से एक बाल्टी साबुन पानी घोलकर रखिए। जब अंतिम संस्कार से वापस आएं तो अपने हाथों को अच्छी तरह से इससे धो लीजिए और फिर उसके बाद नहा लें तो आपको संक्रमण नहीं होगा।

कोरोना संक्रमण से मृत व्यक्ति की बाडी सैनिटाइज करने के बाद पीपीई किट में पैक कर दी जाती है। परिवार के दो सदस्यों को भी पीपीई किट दी जाती है और उन्हें मृत शरीर घर ले जाने की इजाजत नहीं होती। वह इसे सीधे अंतिम संस्कार के लिए घाट ले जाने को दिया जाता है।

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