नई दिल्ली. केजरीवाल सरकार ने शनिवार को ‘दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन’ के गठन को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में नए युग की सूत्रपात हुआ। घोषणा के अनुसार, दिल्ली बोर्ड की एक गवर्निंग बॉडी होगी, जिसकी अध्यक्षता वहां के शिक्षा मंत्री करेंगे। बोर्ड की एक एग्जीक्यूटिव बॉडी भी होगी, जिसे एक सीईओ संभालेगा। दोनों समितियों में उद्योग, शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ, सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपल, नौकरशाह होंगे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि इस साल 20 से 25 सरकारी स्कूलों को इस बोर्ड में शामिल किया जाएगा। केजरीवाल ने कहा, ‘बीते 6 साल में हमने सरकारी स्कूलों के बेहतर बनाया है। अब हम बोर्ड गठन के साथ अगले चरण में जा रहे है। दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन की स्थापना दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में हो रहे क्रांतिकारी परिवर्तन को नई ऊंचाइयों की तरफ लेकर जाएगा। एकदम से सभी स्कूलों को इस बोर्ड में शामिल नहीं किया जाएगा। किस स्कूल को इस बोर्ड में शामिल करना है, इसका फैसला वहां के टीचर, प्रिंसिपल और पेरेंट्स से सलाह-मशविरा करने के बाद लिया जाएगा।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इससे पहले स्कूल में कुछ भी काम के लिए सरकार से इजाजत लेनी पड़ती थी। स्कूल में कई पोस्ट्स खाली पड़ी रहती थी, लेकिन हमने स्कूल के प्रिंसपल को यह पावर दी है। कई नए प्रयोग किए गए। आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे 98 प्रतिशत आने लगे हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों के नतीजे प्राइवेट स्कूलों से अच्छे आने लगे हैं। जो पैरेंट्स पहले सरकारी स्कूलों में बच्चों को नहीं भेजते थे वे अपने बच्चों का भविष्य अब दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सुरक्षित मानते हैं।
ये शिक्षा बोर्ड बनाने के लिए इसलिए जरूरी पड़ी, क्योंकि पिछले छह साल में हमने दिल्ली के बजट का करीब 25 प्रतिशत हर वर्ष शिक्षा पर खर्च करना शुरू किया। इससे सरकारी स्कूलों की शानदार बिल्डिंग, अच्छे कमरे और साफ-सफाई की व्यवस्था होने लगी अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अब ऐसी शिक्षा तैयार की जाएगी ताकि पढ़ाई के बाद उसे रोजगार के लिए धक्के न खानी पड़े। हर बच्चे के अंदर की खूबियों को निकालकर उसे उसमें करियर बनाने की राह दिखाएगा। दिल्ली में हजार के करीब सरकारी और 1700 प्राइवेट स्कूल हैं। इनमें ज्यादातर सीबीएसई से संबंद्ध हैं। इस साल 20 से 25 सरकारी स्कूलों से शुरुआत की जाएगी। हमें उम्मीद है कि अगले चार-पांच सालों में अन्य स्कूल भी खुद से इस बोर्ड में शामिल हो जाएंगे।