नई दिल्ली. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा द्वारा 7 महीने पहले भेजे गये गए रोवर ने गुरुवार को मंगल ग्रह की सतह को छू लिया। भारतीय समय के अनुसार सुबह 2 बज कर 25 मिनट पर यह रोवर पर्सिव्हरंस मंगल ग्रह पर उतरा। मंगल पर प्राचीन जीव सृष्टि की खोज करने के लिए पर्सिव्हरंस को भेजा गया है। यह रोवर 29.55 करोड़ मील की दूरी पूरी कर मंगल पर लैंड हुआ है। पर्सिव्हरंस दूसरे ग्रह पर जाने वाला पहला इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर है।
यह रोवर दो वर्षो तक जेजेरो क्रेटर को एक्सप्लोर करेगा। पर्सिव्हरंस का कमांड सेट है। नासा में बैठी टीम इसे यहां से चलाएगी। पहाड़ी क्षेत्रों पर लेजर लाइट मारना, नमूने जमा करने से पहले मार्गदर्शन करना इस टीम का काम होगा। जेजेरो क्रेटर में मंगल पर ऐसा माना जाता है कि जेजेरो क्रेटर में पहले नदी बहती थी, जो कि एक झील में जाकर मिलती थी। इसका संकेत है कि यहाँ जीवाश्म मिलने कि सम्भावना है।
इस ऐतिहासिक मुहिम में भारतीय-अमेरिकन डॉ. स्वाति मोहन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ स्वाति इस मिशन की बहुत ही महत्वपूर्ण सदस्य हैं। डॉ स्वाति ने कहा कइ मंगल पर टच डाउन की जानकारी मिली है। अब वहां जीवन ढूंढने का काम शुरू करने के लिए तैयार हैं।
नासा की वैज्ञानिक डॉ स्वाति तब सिर्फ एक साल की थीं, जब वह भारत से अमेरिका गईं थी। उनका बचपन वही बीता। 9 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार उन्होंने ‘स्टार ट्रेक‘ देखी जिसके बाद से उनके मन में कौतुहल का निर्माण हुआ। वह 16 वर्ष की उम्र में बाल रोग विशेषज्ञ बनना चाहती थीं। डॉ मोहन ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और एयरोनॉटिक्स / एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी से एमएस और पीएचडी पूरी की।
डॉ स्वाति मोहन नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला में शुरुआत से ही मार्स रोवर मिशन की सदस्य रही हैं। इसके अलावा भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण मिशनों में भाग लिया है। भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक ने कैसिनी (शनि के लिए एक मिशन) और GRAIL (मिशन मून) परियोजनाओं पर भी काम किया है। विकास प्रक्रिया के दौरान प्रमुख सिस्टम इंजीनियर होने के अलावा, वह टीम की देखभाल भी करती है और GN & C के लिए मिशन कंट्रोल स्टाफिंग का शेड्यूल करती है।