इंटरनेट मीडिया पर अंकुश लगाने सरकार आईटी नियमों में बदलाव करेगी

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नई दिल्ली. आज का समय इंटरनेट का है। इंटरनेट ने दुनिया की दूरियों को एक छोटे मोबाइल फोन में समेट दिया है। हर हाथ में एक स्मार्ट फोन अब सामान्य बात है। ऐसे में उस मोबाइल फोन में सोशल मीडिया ने ऐसा घर बना लिया है कि लोग चाहते हुए भी उससे दूर नहीं हो सकते। सोते-जागते कहीं भी कभी भी सोशल मीडिया हमारी जिंदगी में ऐसे रच बस गया है कि अब दुनिया के किसी कोने में एक घटना घटते ही उसकी सूचना हर जगह फैल जाती है। स्मार्ट फोन की उत्पत्ति के साथ ही सोशल मीडिया का भी जन्म हुआ था। शुरुआत में यह बदलाव का ऐसा हथियार मालूम हुआ था, जिससे हम ज्ञान और समझ के अंतहीन सागर में उतर जाते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे यह लोगों की जिंदगी में जहर भी घोल रहा है। सुप्रीम कोर्ट में सोशल मीडिया को लेकर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह चिंता जताई है। उसका कहना है कि देश में सोशल मीडिया का दुरुपयोग हो रहा है जो बहुत खतरनाक है। सरकार को जल्द से जल्द इस मुद्दे से निपटने के लिए कदम उठाना चाहिए।

इसी परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार आईटी नियमों में बदलाव करने जा रही है। यह ऐलान ऐसे समय में किया गया है जब ट्विटर और केंद्र के बीच विवाद चल रहा है। माना जा रहा है कि ट्वीटर के रूख को देखते हुए सरकार ने यह फैसला किया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने ट्विटर पर हैशटैग फार्मर्स जेनोसाइड से जुड़े सभी URLs को ब्लॉक करने का आदेश दिया था लेकिन ट्विटर इन URLs को ब्लॉक करने से मना कर आनाकानी कर रहा है।

इसके बाद केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों से राय कर अंतिम निष्कर्ष निकाला, कि बगैर कानून के दायरे में लागए इन पर नकेल नहीं कसा जा सकता। लिहाजा, इंटरनेट मीडिया की मनमानी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार आईटी नियमों में आमूल-चूल बदलाव करने जा रही है। केंद्र सरकार ने आईटी नियमों में बदलाव की जानकारी संसद को दी है।

सरकार का मानना है कि आईटी नियमों में संशोधन से इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म भारतीय कानून के प्रति ज्यादा जवाबदेह होंगे। नए नियमों के आने से डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को भारतीय आचार संहिता का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्ती बरतते हुए ट्वीटर को नोटिस जारी किया है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंचों को विनियमित करने का कानून बनाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा था, जिसके बाद सरकार की ओर से संसद में ये ऐलान किया गया है।

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