ओवैसी ने कहा- मैं राजनीति की लैला हूं, मेरे पीछे पड़े हैं कई मजनूं

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अहमदाबाद. एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने खुद को भारतीय राजनीति की लैला बताया है। उनके इस बयान का साफ-साफ अर्थ तो अभी निकलकर सामने नहीं आया है, लेकिन उन्होंने अपनी जोरदार उपस्थिति की धमक कराई है। उन्होंने सीधा जवाब नहीं देते हुए बड़ा हल्का फुल्का बयान देते हुए कहा कि मुझे भारत की राजनीति की लैला बना दिया गया है और सारे मजनूं मेरे इर्द-गिर्द मंडरा रहे हैं।

बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष हैं। ओवैसी अपनी राजनीति के कारण और अपने भाषणों के कारण विवादों और खबरों में रहे हैं। वे हमेशा सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में पिछड़े मुसलमानों के लिए आरक्षण का समर्थन करते हैं। वे हमेशा कहते हैं कि वे हिंदुत्व की विचारधारा के खिलाफ हैं, लेकिन हिंदुओं के खिलाफ नहीं। असदुद्दीन ओवैसी के दादा अब्दुल वहीद ओवैसी ने राजनीतिक पार्टी मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को 1957 में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के रूप में फिर से आरंभ किया।

उन्होंने कहा कि गुजरात में 2022 के विधानसभा चुनाव के दंगल से पहले स्थानीय निकाय चुनाव का रंग जमता नजर आ रहा है। यह चुनाव एआईएमआईएम तथा पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति के साए में और भी रोमांचक हो गए हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने दो टूक कहा कि उनकी उपेक्षा महंगी पड़ेगी। पिछले 20 सालों में गुजरात में कांग्रेस लगातार हारती आ रही है, जबकि हमारी पार्टी अब तक यहां चुनाव नहीं लड़ रही थी। ओवैसी ने भरूच तथा अहमदाबाद में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए वर्ष 2002 में गुजरात में हुए दंगों की घटनाओं तथा 2006 में वडोदरा में याकूतपुरा दरगाह को तोड़े जाने की घटनाओं का जिक्र करते हुए अपनी ओर से की गई मेहरबानियां की भी याद दिलाई। ओवैसी ने कहा दंगों के बाद वे करीब 25 डॉक्टरों की टीम तथा 50 लाख रुपए की दवाई लेकर यहां पहुंचे थे। अहमदाबाद तथा अन्य इलाकों में मेडिकल कैंप लगाकर उनकी टीम ने करीब 10000 लोगों की मदद की थी।

बता दें कि अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, जामनगर, भावनगर महानगर पालिका के चुनाव के लिए भाजपा कांग्रेस आम आदमी पार्टी के अलावा सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन के भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ गठबंधन हो जाने से आदिवासी तथा मुस्लिम मतदाता बहु सीटों पर कांग्रेस को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

इस बीच, आम आदमी पार्टी ने भी इस बार स्थानीय निकाय चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। सूरत तथा अहमदाबाद में पार्टी के सांसद संजय सिंह तथा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अपने अपने तरीके से मतदाताओं को लुभाने का प्रयास भी कर चुके हैं। करीब 5 साल पहले आरक्षण की मांग को लेकर बनी पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति ने 2015 में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को सीधा फायदा कराया था।

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