खालिस्तान-पाक लिंक वाले 1178 अकाउंट पर केंद्र की नजर, ट्वीटर से ब्लॉक करने को कहा

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Farmers Protest
File Pocture

नई दिल्ली. किसान आंदोलन में खालिस्तान कनेक्शन शुरू से ही चर्चा में रहा है। खालिस्तानी चरमपंथी पंजाब के भोले-भाले गरीब युवाओं को अपने प्रभाव में लाने की कोशिश करते रहते हैं। इसके लिए वे यूट्यूब, फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के मंचों पर युवाओं से संपर्क करते हैं। थोड़ी सी बातचीत के दौरान जो भी युवा उनकी चाल में फंस जाते हैं, वे उनके जरिए आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रचना शुरू कर देते हैं।

इन अकाउंट के जरिए गलत सूचना फैलाने के साथ ही ‘किसान नरसंहार’ जैसे हैशटैग का इस्तेमाल किया गया था। नई सूची में खालिस्तान के प्रति सहानुभूति रखने वाले और पाकिस्तान लिंक वाले अकाउंट शामिल हैं। कुछ स्वचालित चैटबॉट हैं, जिनका उपयोग किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान गलत सूचना को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। इन अकाउंट को ब्लॉक करने का निर्देश इस आधार पर दिया गया है कि वे देश में चल रहे किसानों के विरोध के बीच लोगों के लिए खतरा बन सकते हैं।

सुरक्षा बलों के भी मुताबिक नशे की गिरफ्त में फंसे युवा पाकिस्तानी-खालिस्तानी सोच को आगे बढ़ाने में आसान शिकार बन जाते हैं। इसके जरिए नशे के कारोबार में जुटे आतंकी अपना कारोबार भी बढ़ाने की कोशिश करते हैं और साथ ही इस कमाई से मिले पैसों का इस्तेमाल खालिस्तानी सोच को आगे बढ़ाने के लिए की जाती है। सरकार को इसे कई स्तरों पर निबटने की जरूरत है। किसान आंदोलन में कई बार खालिस्तान का नाम आया है।

लिहाजा, केंद्र सरकार ने ट्विटर से किसानों के विरोध प्रदर्शनों के बारे में गलत सूचना और भड़काऊ सामग्री फैलाने वाले 1178 पाकिस्तानी-खालिस्तानी अकाउंट को हटाने के लिए कहा है। इसके पहले भी आईटी मंत्रालय ने ट्विटर को लगभग 250 ट्विटर अकाउंट ब्लॉक करने का निर्देश दिया था, जो गलत सूचना फैला रहे थे और आपत्तिजनक हैशटैग का इस्तेमाल कर रहे थे। एक दिन के लिए इन अकाउंट को ब्लॉक करने के बाद, ट्विटर ने उन्हें यह कहते हुए अनब्लॉक कर दिया कि वे ‘भड़काऊ भाषा’ का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।

माइक्रोब्लॉगिंग साइट ‘किसानों के विरोध’ पर गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई न करके ‘भारतीय कानून का उल्लंघन’ करने के लिए आईटी मंत्रालय के रडार पर है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है अन्यथा आने वाले समय में यह देश के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है। उन्हें किसान आंदोलन जैसी कोई कमजोर कड़ी नहीं मिलनी चाहिए, जिससे वे अपनी सोच को कामयाब बना सकें। मोगा की घटना में शामिल आतंकी दसवीं-बारहवीं तक पढ़े सामान्य युवा थे, जो ज्यादा पैसा कमाने की लालच में सोशल मीडिया के माध्यम से खालिस्तानी आतंकियों के संपर्क में आ गए थे।

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