वाशिंगटन. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तय किया है कि सीनेट में महाभियोग की सुनवाई के दौरान वह किसी तरह की गवाही नहीं देंगे। कैपिटल हिल में हिंसा को भड़काने के मामले में डेमोक्रेट सदस्यों के साथ ही 10 रिपब्लिकन सांसदों ने भी 13 जनवरी को ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही का समर्थन किया था। महाभियोग पर सुनवाई के लिए सीनेट में दो तिहाई मतों की जरूरत होगी। वर्तमान में सौ सीटों वाली सीनेट में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों दलों के 50-50 सदस्य हैं। दो तिहाई बहुमत के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी को रिपब्लिकन पार्टी के कम से कम 17 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी।
ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की सुनवाई आठ फरवरी से शुरू की जाएगी। दूसरी बार महाभियोग की कार्यवाही का सामना करने वाले ट्रंप अमेरिकी इतिहास के पहले राष्ट्रपति होंगे। महाभियोग के प्रबंधकों ने डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिकी सीनेट के परीक्षण में गवाही देने के लिए कहा, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया के बाद भी मुश्किलें खत्म होने वाली नहीं।
दो फरवरी को ट्रंप ने महाभियोग के लिए अपनी कानूनी टीम की घोषणा की थी। व्हाइट हाउस से विदा होने के बाद महाभियोग की कार्यवाही का सामना करने वाले ट्रंप ऐसे पहले पूर्व राष्ट्रपति हैं। चुनाव में हार के बाद सत्ता हस्तांतरण से पहले अमेरिका के संसद भवन पर ट्रंप समर्थकों के हमले को लेकर पूर्व राष्ट्रपति को महाभियोग का सामना करना पड़ रहा है।
मशहूर वकील डेविड स्कोन और ब्रूस एल कैस्टर ट्रंप की टीम की अगुवाई कर रहे हैं। इन दोनों ही वकीलों ने पिछले सप्ताह महाभियोग को असंवैधानिक बताया था। ट्रंप की टीम ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा है कि अब ट्रंप ‘राष्ट्रपति’नहीं हैं, इसलिए इस तरह की कार्यवाही को निरस्त किया जाना चाहिए।
दरअसल, महाभियोग की कार्रवाई देख रहे प्रबंधकों ने पूर्व राष्ट्रपति को गुरुवार को छह जनवरी की घटना में अपनी भूमिका के संबंध में गवाही देने के लिए बुलाया था। इसके जवाब में ट्रंप के वकीलों ने इसे पब्लिक रिलेशन स्टंट बताते हुए इसमें शामिल होने से इन्कार कर दिया था। टीम ने कहा, ‘महाभियोग ऐसे व्यक्ति पर चलाया जाता है, जिसके पास इससे संबंधित पद हो। क्योंकि वह (ट्रंप) अब राष्ट्रपति नहीं हैं, इसलिए उन पर महाभियोग नहीं चलाया जा सकता।’