नई दिल्ली. गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस ने कई किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। इन किसानों को कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए पंजाब सरकार ने दिल्ली में 70 वकीलों की एक टीम का इंतजाम किया है। ये वकील मुफ्त में किसानों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के दौरान उनकी पैरवी करेंगे। बुधवार को इनमें से 40 वकीलों का एक समूह किसान नेताओं से मिलने पहुंचा।
वकीलों का कहना था कि वह हक की लड़ाई में किसानों के साथ हैं और उनके साथ नाइंसाफी नहीं होने देंगे। वकीलों ने कहा कि हम अभी पूरी जानकारी जुटा रहे हैं, किसानों पर किन-किन धाराओं में और कुल कितने किसानों पर केस रजिस्टर्ड हैं, कितने किसान जेल में बंद हैं। पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे।
इस बीच, 26 जनवरी की हिंसा के बाद एक बार कमजोर हुआ किसान आंदोलन फिर से रफ्तार पकड़ता दिख रहा है। किसानों पर हमलों की खबरों के बाद हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में किसान एक बार फिर दिल्ली की तरफ कूच करने लगे हैं, जिसके बाद प्रदर्शनस्थल पर किसानों की भीड़ बढ़ गई है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई जिलों में महापंचायतों का भी आयोजन हुआ, जिनमें किसानों का साथ खड़े होने की हुंकार भरी गई।
टीकरी बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों के लिए फिर से आवाज बुलंद होने लगी है। किसान संगठनों के अलावा विभिन्न दल के नेताओं का जमघट लग रहा है। किसान नेताओं को काफी बल मिल रहा है। उन्होंने दो टूक कहा कि अब समाज के हर तबके का सहयोग मिल रहा है। पहले से यहां डॉक्टरों की टीम मुफ्त में किसानों का इलाज कर रही है। लंगर भी जारी है। उनका साफ कहना है कि सरकार का रवैया आंदोलनकारी किसानों के साथ ठीक नहीं है। लोकतंत्र में आवाज को दबाया जा रहा है। इन तमाम दबावों के बावजूद हमारा प्रोटेस्ट जारी रहेगा। बॉर्डर पर नुकीली कीलें लगाई जा रही हैं। बैरिकेडिंग की जा रही है, इंटरनेट सेवा भी यहां बिल्कुल ठप है। जरूरी सूचनाएं भी लोगों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। ट्विटर से किसान आंदोलन के अकाउंट बंद करवा दिए गए हैं। इस बीच, 6 फरवरी को चक्का जाम के ऐलान के बाद किसानों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।