कोरोना काल में जनता भले ही कंगाल हुई, लेकिन सरकार पेट्रोल तथा डीजलों की कीमतों के सहारे मालमाल हुई है। एक ओर जहां कोविड-19 महामारी (Covid-19 pandemic) के कारण लगभग हर क्षेत्र में सरकारी कर संग्रह में कमी आई हो, लेकिन उत्पाद शुल्क संग्रह (Excise Duty collection) में बढ़ोतरी हुई है।
चालू वित्त वर्ष के दौरान उत्पाद शुल्क संग्रह में 48 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और इसकी मुख्य वजह डीजल और पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क दर में रिकॉर्ड बढ़ोतरी है। सीजीए (CGA) यानी महालेखा नियंत्रक की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-नवंबर 2020 के दौरान उत्पाद शुल्क का संग्रह बढ़कर 1,96,342 करोड़ रुपये हो गया। इसी अवधि के दौरान 2019 में यह संग्रह 1,32,899 करोड़ रुपये था। आपको बता दें कि उत्पाद शुल्क (Central Excise) संग्रह में यह वृद्धि चालू वित्त वर्ष के आठ महीने की अवधि के दौरान डीजल की बिक्री में एक करोड़ टन से अधिक की कमी आने के बावजूद हुई।
देश में तीन दिनों तक स्थिर रहने के बाद पेट्रोल और डीजल के दामों में आज फिर बढ़ोतरी हुई। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को पेट्रोल 84.95 रुपये के उच्चतम स्तर पहुंच गया। वहीं डीजल भी 75.13 रुपये प्रति लीटर पर चला गया। यहां पर आज दोनों ईंधनों की कीमतों में 25-25 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई।
नया साल यानी 2021 पेट्रोलियम ईंधनों के लिए अच्छा नहीं रहा है। हालांकि नए साल के 18 दिनों में महज पांच दिन ही पेट्रोल महंगा हुआ, लेकिन इस दौरान यह यह 1.24 रुपये महंगा हो गया है। इससे पहले बीते साल की दूसरी छमाही में भी पेट्रोल के दाम (Petrol) खूब बढ़े। अगर पिछले 10 महीनों के आंकड़ों पर नजक डाले तो पेट्रोल की कीमत में 15 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा की वृद्धि हुऊ है।
नए साल में दिल्ली में डीजल की कीमत में पांच बार में 1.26 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है। यदि गत 10 महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो डीजल की कीमतों में 13 रुपये से अधिक की वृद्ध हो चुकी है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक जनवरी को पट्रोल की कीमत 83.71 रुपये प्रति लीटर थी। इसमें पेट्रोल की वास्तविक कीमत 27.37 रुपये प्रति लीटर थी। 0.37 रुपये के फ्रेट लेवी के साथ डीलर से यह चार्ज 27.74 रुपये प्रति लीटर लिया गया। इसमें 32.98 रुपये की एक्साइज ड्यूटी और 3.67 रुपये डीलर कमीशन और 19.32 रुपये वैल्यू ऐडेड टैक्स को जोड़ा गया। इसके बाद यह प्राइस 83.71 रुपये प्रति लीटर हुआ। इसी रेट पर पेट्रोल खुदरा ग्राहकों को बेचा जाता है। वहीं वैल्यू ऐडेड टैक्स अलग-अलग राज्यों पर निर्भर करता है। देश के प्रमुख शहरों में पेट्रोल तथा डीजल की कीमतें निम्मलिखित प्रकार से हैः-
शहर का नाम | पेट्रोल (रुपए/लीटर) | डीजल (रुपए/लीटर) |
दिल्ली | 84.95 | 75.13 |
मुंबई | 91.56 | 81.87 |
चेन्नई | 87.63 | 80.40 |
इंदौर | 92.81 | 83.07 |
भोपाल | 92.78 | 83.02 |
नोएडा | 84.60 | 75.57 |
जयपुर | 92.41 | 84.44 |
पटना | 87.42 | 80.27 |
चंडीगढ़ | 81.80 | 74.88 |
आपको बता दें कि डीजल भारत में सबसे ज्यादा खपत होने वाला ईंधन है। पेट्रोलियम मंत्रालय के पीपीएसी (PPAC) यानी पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से नवंबर 2020 के दौरान डीजल की बिक्री एक साल पूर्व की तुलना में 5.54 करोड़ टन से कम हुई और यह 4.49 करोड़ टन रह गई। इस दौरान पेट्रोल की खपत भी साल भर पहले के 2.04 करोड़ टन से कम होकर 1.74 करोड़ टन रही। पेट्रोलियम उत्पादों एवं प्राकृतिक गैस को जीएसटी (GST) यानी वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था से बाहर रखा गया है। देश में जुलाई 2017 से जीएसटी व्यवस्था अमल में आई है।
केंद्र सरकार पेट्रोलियम उत्पादों और प्राकृतिक गैस पर उत्पाद शुल्क वसूलती है, जबकि राज्य सरकारें वैट (VAT) यानी मूल्य वर्धित कर लेती हैं। उद्योग जगत जुड़े सूत्रों के अनुसार आर्थिक क्षेत्र में सुस्ती के बावजूद उत्पाद शुल्क संग्रह में हुई वृद्धि का मुख्य कारण पेट्रोल और डीजल पर कर की दर में रिकॉर्ड बढ़ोतरी है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दौरान पेट्रोल पर दो बार में उत्पाद शुल्क 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ाया है। इससे पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़कर 32.98 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर हो गया। महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार 2019- 20 पूरे वित्त वर्ष में कुल उत्पाद शुल्क प्राप्ति 2,39,599 करोड़ रुपये रही है।