दिल्लीः जिज्ञासा को जीवन की सफलता की कुंजी है और हमारे धर्म ग्रंथों में जिज्ञासा को महत्व दिया गया है। अर्जुन की जिज्ञासा के कारण ही दुनिया को गीता के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की अमर वाणी का लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये बातें रविवार को रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कही। उन्होंने कहा कि गीता की विशेषता है कि यह जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है और जीवन में कभी निराशा का भाव नहीं आने देती है। यही कारण है कि तमिलनाडु के 92 साल के स्वामी टी श्रीनिवासाचार्य इस उम्र में कंप्यूटर सीखकर उस पर अपनी पुस्तक लिखते हैं। गीता का जिज्ञासा का यही ज्ञान पूरी दुनिया के लिए ऊर्जा का काम करता है।
उन्होंने कहा , “ दो दिन पहले ही गीता जयंती थी। गीता हमें हमारे जीवन के हर सन्दर्भ में प्रेरणा देती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है, गीता इतनी अद्भुत ग्रन्थ क्यों है। वो इसलिए क्योंकि ये स्वयं भगवन श्रीकृष्ण की ही वाणी है। गीता की विशिष्टता ये भी है कि ये जानने की जिज्ञासा से शुरू होती है। प्रश्न से शुरू होती है। अर्जुन ने भगवान से प्रश्न किया, जिज्ञासा की, तभी गीता का ज्ञान संसार को मिला।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गीता की ही तरह हमारी संस्कृति में जितने भी ज्ञान हैं सब जिज्ञासा से ही शुरू होते हैं। वेदांत का तो पहला मंत्र ही है – ‘अथातो ब्रह्म जिज्ञासा’ अर्थात आओ हम ब्रह्म की जिज्ञासा करें। इसीलिए हमारे यहां ब्रह्म के भी अन्वेषण की बात कही जाती है। जिज्ञासा की ताकत ही ऐसी है। जिज्ञासा आपको लगातार नए के लिए प्रेरित करती है। बचपन में हम इसीलिए तो सीखते हैं क्योंकि हमारे अन्दर जिज्ञासा होती है। यानी जब तक जिज्ञासा है, तब तक जीवन है। जब तक जिज्ञासा है, तब तक नया सीखने का क्रम जारी है।”