प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हर व्यक्ति के भीतर जीवों के प्रति दया , करुणा और संवेदनशीलता होनी चाहिए । उन्होंने आकाशवा4णी तथा दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में रविवार को भारत में तेंदुओं की संख्या में वृद्धि होने पर खुशी जाहिर की और कहा कि कहा कि भारत में तेंदुओं की संख्या में 2014 से 2018 के बीच 60 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। देश में 2014 में देश में तेंदुओं की संख्या लगभग 7,900 थी,जो 2019 में बढ़कर 12,852 हो गई है।
उन्होंने कहा कि तेंदुए के बारे में जिम कार्बेट ने कहा था कि जिन लोगों ने तेंदुओं को प्रकृति में स्वछन्द रूप से घूमते नहीं देखा, वो उसकी खूबसूरती की कल्पना ही नहीं कर सकते। उसके रंगों की सुन्दरता और उसकी चाल की मोहकता का अंदाज नहीं लगा सकते। उन्होंने कहा कि देश के अधिकतर राज्यों में, विशेषकर मध्य प्रदेश , कर्नाटक और महाराष्ट्र में तेंदुओं की संख्या बढ़ी है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा, “ तेंदुए, पूरी दुनिया में वर्षों से खतरों का सामना करते आ रहे हैं। ऐसे समय में भारत ने तेंदुए की आबादी में लगातार बढ़ोतरी कर पूरे विश्व को एक रास्ता दिखाया है। देश में शेरों की आबादी बढ़ी है, बाघों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही वनक्षेत्र में भी इजाफा हुआ है। इसकी वजह है कि सरकार ही नहीं बल्कि बहुत से लोग, और नागरिक संस्थाएं जिम्मेदारी हैं, जो हमारे पेड़-पौधों और वन्यजीवों के संरक्षण में जुटी हुई हैं। वे सब बधाई के पात्र हैं।”
पीएम ने तमिलनाडु के कोयंबटूर की ‘गायत्री’ नामक युवती का उदाहरण दिया और कहा, “ मैंने कोयंबटूर की बेटी गायत्री के एक ह्रदयस्पर्शी प्रयास के बारे में पढ़ा है, जिसने अपने पिताजी के साथ मिलकर एक पीड़ित कुत्ते के लिए व्हील चेयर बना दी। ये संवेदनशीलता, प्रेरणा देने वाली है। ये तभी हो सकता है, जब व्यक्ति हर जीव के प्रति, दया और करुणा से भरा हुआ हो। ” उन्होंने कहा कि दिल्ली और देश के दूसरे शहरों में ठिठुरती ठण्ड के बीच बेघर पशुओं की देखभाल के लिए कई लोग बहुत कुछ कर रहे हैं। वे उन पशुओं के खाने-पीने और उनके लिए स्वेटर और बिस्तर तक का इंतजाम करते हैं। कुछ लोग तो ऐसे हैं, जो रोजाना सैकड़ों की संख्या में ऐसे पशुओं के लिए भोजन का इंतजाम करते हैं। ऐसे प्रयास की सराहना होनी चाहिये।इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जेल के क़ैदियों के प्रयास की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जेल में बंद कैदी गायों को ठण्ड से बचाने के लिए पुराने और फटे कम्बलों से कपड़े बना रहे हैं। इन कम्बलों को कौशाम्बी समेत दूसरे ज़िलों की जेलों से एकत्र किया जाता है और फिर उन्हें सिलकर गौ-शाला भेज दिया जाता है।