Amit Shah West bengal
फोटो: सोशल मीडिया
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सियासत की गरमी चरम पर है. भाजपा और टीएमसी के बीच घमासान मचा है. गृह मंत्री अमित शाह का आज  बंगाल दौरे का आखिरी दिन था उन्होंने बीरभूम में एक रोड शो किया. इस दौरान उन्होंने साफ कर दिया कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की कोई तैयारी नहीं है.
शाह ने कहा कि बंगाल विधानसभा चुनाव में 200 से अधिक सीटें जीतकर भाजपा की सरकार बनेगी और बंगाल का ही धरती पुत्र राज्य का मुख्यमंत्री बनेगा. अपनी बंगाल यात्रा के दूसरे और आखिरी दिन यहां संवाददाताओं से बातचीत में श्री शाह ने बाहरी व स्थानीय के विवाद पर कहा कि जब ममता बनर्जी कांग्रेस में थीं, तब इंदिरा गांधी या नरसिम्हा राव या फिर कांग्रेस के अन्य केंद्रीय नेता बंगाल आते थे, तो क्या वह बाहरी थे?
शाह ने कहा कि ये लोगों में भ्रांति फैलाने का तृणमूल का प्रयास है. क्या ममता बनर्जी ऐसे देश की कल्पना करती हैं, जहां एक राज्य के लोग दूसरे राज्य में न जायें? बंगाल खुले मन के लोगों का राज्य है, संकीर्ण मन के लोग यहां नहीं हैं. लेकिन, वह यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि ममता बनर्जी से यहीं का नेता लड़ेगा और मुख्यमंत्री भी बंगाल का ही नेता बनेगा.
अपने दो दिवसीय दौरे के आखिरी दिन बोलपुर में रोड शो के बाद संवाददाता सम्मेलन में अमित शाह ने कहा कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन की कोई तैयारी नहीं है. मुख्यमंत्री ऐसा कहकर सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर रही हैं. केंद्र की सरकार और अमित शाह चाहते हैं कि बंगाल की ममता बनर्जी सरकार अपना कार्यकाल पूरा करे. शाह ने कहा कि बंगाल उद्योग, शिक्षा व स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में बिल्कुल पीछे चला गया है जबकि भ्रष्टाचार, तोलाबाजी, परिवारवाद, बम धमाकों और राजनीतिक हिंसा में नंबर वन है.
उन्होंने कहा कि बंगाल देश का 30 फीसदी औद्योगिक उत्पादन करता था, आज 3.5 फीसदी करता है. 1960 में रोजगार 27 फीसदी था, आज चार फीसदी है. 1960 में प्रति व्यक्ति आय महाराष्ट्र की तुलना में 105 फीसदी थी, आज वह महाराष्ट्र की आधी भी नहीं. बंदरगाहों में आवाजाही कभी कुल आवाजाही की 42 फीसदी होती थी, आज 10 फीसदी भी नहीं. 1950 में कुल फार्मा उत्पादों का 70 फीसदी उत्पादन होता था, आज 7 फीसदी है. जूट की अधिकांश मिलें बंद हो गयी हैं. उद्योग में बंगाल 20वें स्थान पर है. राज्य की आय वृद्धि के मामले में 16वें स्थान पर.
शाह ने कहा कि बंगाल में जन्म लेने वाले हर बच्चे के माथे पर 50 हजार रुपये का ऋण है. प्राथमिक स्वास्थ्य की बात करें, तो प्रति एक हजार लोगों के लिए बेड के लिहाज से बंगाल 25वें स्थान पर है. प्राथमिक चिकित्सा में डॉक्टरों के 39 फीसदी पद रिक्त हैं. 87 फीसदी सर्जनों के पद रिक्त हैं. 90 फीसदी प्राथमिक स्कूलों में डेस्क नहीं हैं. 30 फीसदी स्कूलों में कक्षाएं नहीं. 10 फीसदी स्कूलों में बिजली नहीं. कॉलेजों के लिहाज से बंगाल देश में 28वें स्थान पर है.
शाह ने एक बार फिर केंद्रीय योजनाओं को बंगाल में लागू न किये जाने का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि किसानों को मिलने वाले सालाना छह हजार रुपये से वंचित किया जा रहा है. बंगाल के 23 लाख किसानों ने इसके लिए आवेदन किया, लेकिन सर्टिफिकेशन के अभाव में उन्हें पैसे नहीं मिल सके. मुख्यमंत्री कम से कम ऑटोग्राफ समझकर उस पर हस्ताक्षर कर दें. शाह ने कहा कि राज्य की 55 फीसदी जमीन पर सिंचाई नहीं हो रही, जबकि मीठे जल की उपलब्धता में यह प्रदेश अव्वल है.

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