प्रखर प्रहरी डेस्क
दिल्ली डीजीसीए यानी नागर विमानन महानिदेशालय ने पायलटों तथा विमान सेवा कंपनियों के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किया है। यह निर्देश टिड्डी दल के काफिलों के प्रति सावधानी बरतने को लेकर जारी किये गये हैं।
डीजीसीए ने 29 मई को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि समुद्र तल से दो किलोमीटर ऊंचाई तक उड़ने वाले ये टिड्डी दल विमानों के उड़ान भरते तथा उतरते समय खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। पायलटों को इनके मार्ग में जाने से बचना चाहिए। डीजीसीए ने कहा है कि अकेला टिड्डी आकार में काफी छोटा होता है और यह खतरा नहीं उत्पन्न कर सकता है, लेकिन ये एक साथ लाखों की संख्या में उड़ते हैं। बड़ी संख्या में इंजन या एसी सिस्टम के छिद्रों में जाने पर उन्हें अवरुद्ध कर सकते हैं। इनके पिटॉट और स्टैटिक छिद्रों में इनके घुस जाने पर विमान की ऊँचाई और हवा की रफ्तार के आंकड़ों में गलती हो सकती है। विंड स्क्रीन से चिपक कर पायलट के सामने की दृष्टि अवरुद्ध कर सकता है। पायलट को उन्हें हटाने के लिए वाइपर का प्रयोग भी सोच-समझकर करना चाहिए, क्योंकि विंडस्क्रीन पर उनके कुचले जाने से और बड़ी समस्या हो सकती है।
डीजीसीए ने कहा है कि वैसे तो हर साल देश में टिड्डी दल का हमला होता है, लेकिन इस बार इनकी संख्या 20 साल में सर्वाधिक है। ये एक दिन में 200 किलोमीटर तक उड़ान भर सकते हैं।
दुनिया की सबसे खतरनाक कीट होती हैं टिड्डियां
ऐक्रिडाइइडी परिवार के ऑर्थाप्टेरा गण का कीट है। दुनियाभर में टिड्डियों की 10 हजार से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। भारत में इसकी सिर्फ चार प्रजातियां ही पाई जाती हैं। इसमें रेगिस्तानी टिड्डा, प्रव्राजक टिड्डा, बंबई टिड्डा और पेड़ वाला टिड्डा शामिल हैं। इनमें रेगिस्तानी टिड्डों को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। ये हरे-भरे घास के मैदानों में आने पर खतरनाक रूप ले लेते हैं।