दिल्लीः केंद्रीय वित्त मंत्रीा निर्मला सीतारमण ने नये इनकम टैक्स बिल आज यानी गुरुवार, 13 फरवरी को लोकसभा में पेश कर दिया। 622 पन्नों वाला यह बिल 06 दशक पुराने इनकम टैक्स एक्ट 1961 को रिप्लेस करेगा। प्रस्तावित कानून को आयकर अधिनियम 2025 कहा जाएगा और इसके अप्रैल 2026 में प्रभावी होने की उम्मीद है।

इनकम टैक्स बिल में असेसमेंट ईयर को टैक्स ‘ईयर’ से रिप्लेस किया गया है। बिल के पन्ने 823 से घटकर 622 रह गए हैं। हालांकि, चैप्टर्स की संख्या 23 ही है। सेक्शन 298 से बढ़ाकर 536 कर दिए गए हैं और शेड्यूल्स भी 14 से बढ़कर 16 हो गए है।
क्रिप्टो एसेट्स को किसी भी अनडिस्क्लोज्ड इनकम के तहत गिना जाएगा, जैसे अभी नकदी, बुलियन और ज्वेलरी को शामिल किया जाता है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि डिजिटल ट्रांजैक्शन को भी पारदर्शी और कानूनी तरीके से कंट्रोल किया जा सके।

बिल में टैक्सपेयर्स चार्टर को शामिल किया गया है, जो टैक्स पेयर्स के अधिकारों को प्रोटेक्ट करेगा और टैक्स प्रशासन को ज्यादा ट्रांसपेरेंट बनाएगा। यह चार्टर टैक्सपेयर्स के हितों की रक्षा करने के साथ टैक्स अधिकारियों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को भी साफ करेगा।

सैलरी से संबंधित कटौतियां, जैसे कि स्टैंडर्ड डिडक्शन, ग्रेच्युटी और लीव एनकैशमेंट को अब एक ही जगह पर लिस्ट कर दिया गया है। पुराने कानून में मौजूद मुश्किल एक्सप्लेनेशन और प्रावधानों को हटा दिया गया है, जिससे टैक्सपेयर्स के लिए इसे समझना आसान हो जाएगा।

इससे पहले बजट में इनकम टैक्स को लेकर बड़ी राहत दी गई थी। न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपए हो जाएगी।

टैक्स ईयर का कॉन्सेप्ट: नए बिल में टैक्स ईयर का नया कॉन्सेप्ट लाया जाएगा। अभी असेसमेंट ईयर और प्रीवियस ईयर की वजह से टैक्सपेयर्स को कई दिक्कतें होती हैं। कई लोग टैक्स भरते और रिटर्न फाइल करते समय असेसमेंट ईयर और फाइनेंशियल ईयर (पिछला साल) में कन्फ्यूज हो जाते हैं। टैक्स ईयर के एक ही कॉन्सेप्ट से टैक्सपेयर्स को यह समझने में आसानी होगी कि वे किस साल का टैक्स भर रहे हैं और रिटर्न फाइल कर रहे हैं। मान लीजिये आप 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 तक कमाएंगे तो यह आपका टैक्स ईयर 2025-26 होगा। नए इनकम टैक्स बिल की अहम बातें…

फाइनेंशियल ईयर में कोई बदलाव नहीं: टैक्सपेयर्स को याद रखना चाहिए कि फाइनेंशियल ईयर में कोई बदलाव नहीं होगा। यह 1 अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को खत्म होगा। नया बिल कैलेंडर ईयर को टैक्स ईयर के तौर पर नहीं मानेगा।

धाराओं में बदलाव: नए बिल में कई धाराओं में भी बदलाव हो सकता है। मौजूदा एक्ट में, इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग सेक्शन 139 के तहत आती है जबकि न्यू टैक्स रिजीम सेक्शन 115BAC के तहत। नए बिल में इन दोनों धाराएं बदल सकती हैं। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि टैक्स कानूनों की भाषा को आसान बनाया जाएगा। इस वजह से, 2025 के इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन्स में बदलाव हो सकते हैं। मान लीजिए पहले धारा 139 में रिटर्न भरने की बात लिखी थी, अब हो सकता है यह धारा 200 में लिखी हो।

रेजिडेंसी कानूनों में कोई बदलाव नहीं: सूत्रों के मुताबिक, नए बिल में रेजिडेंसी कानूनों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ये नए एक्ट में भी वैसे ही रहेंगे। मौजूदा कानून रेजिडेंसी को तीन कैटेगरी में बांटा गया है: ऑर्डिनरी, नॉन-ऑर्डिनरी और एनआरआई। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेजिडेंसी कानूनों में बदलाव की जरूरत है। मौजूदा कानूनों के तहत टैक्सपेयर्स को पिछले 10 सालों का रेकॉर्ड देखना पड़ता है ताकि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में उनकी रेजिडेंसी का पता चल सके। मतलब अगर आप भारत में कितने दिन रहे, यह जानने के लिए पिछले 10 साल का हिसाब देखना पड़ता है।

व्यापक इनकम टैक्स बिल: मौजूदा इनकम टैक्स कानूनों को सरल बनाने के लिए, नए बिल में कुछ बदलाव किए गए हैं। संदीप झुनझुनवाला, M&A टैक्स पार्टनर, Nangia Andersen LLP कहते हैं, ‘नए बिल का मसौदा 23 चैप्टर, 536 धाराओं और 16 अनुसूचियों में विभाजित है। इसमें 600 से पन्ने हैं। नए बिल पर एक नजर डालने पर यह मौजूदा आयकर अधिनियम से ज्यादा व्यापक लगता है। मौजूदा कानून में 298 धाराएं और 14 अनुसूचियां हैं।’

टैक्सपेयर्स के लिए आसान व्याख्या: झुनझुनवाला कहते हैं, ‘नए बिल में व्याख्या और प्रॉविजन्स की अवधारणाओं को हटा दिया गया है ताकि इसे सरल बनाया जा सके। पिछले वर्ष और निर्धारण वर्ष के बजाय कर वर्ष जैसी नई अवधारणाएं पेश की गई हैं।’ मतलब अब बिल को समझना आसान होगा क्योंकि उलझाने वाली बातें हटा दी गई हैं। वेतन से कटौती, जैसे मानक कटौती, ग्रेच्युटी, छुट्टी नकदीकरण, आदि को अब अलग-अलग वर्गों और नियमों में बिखरे होने के बजाय एक ही स्थान पर रखा गया है। नए आयकर बिल ने कंपनियों के लिए अवमूल्यन की गणना को एक फॉर्मूला बनाकर सरल बना दिया है। मतलब सैलरी से होने वाली कटौतियों को एक जगह पर लिख दिया गया है जिससे समझना आसान होगा।

TDS अनुपालन में आसानी: झुनझुनवाला का कहना है कि समझने में आसानी के लिए सभी TDS से संबंधित वर्गों को सरल टेबल्स के साथ एक ही क्लौज के तहत लाया गया है। हालांकि इसका मतलब यह होगा कि इस बिल के कार्यान्वयन के बाद रिपोर्टिंग पर्पज के लिए फॉर्म और युटिलिटीज में बहुत सारे बदलावों की आवश्यकता होगी। मतलब TDS से जुड़े नियमों को एक जगह कर दिया गया है, लेकिन बाद में फॉर्म और दूसरे कामों में बदलाव करने पड़ेंगे।

ITR में कोई बदलाव नहीं: बजट 2025 में की गई घोषणा के मुताबिक टैक्सपेयर्स की आसानी के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा, आयकर स्लैब और पूंजीगत लाभ कराधान में कोई बदलाव नहीं किया गया है। मतलब रिटर्न भरने की आखिरी तारीख, टैक्स स्लैब और कैपिटल गेन्स टैक्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

नए कानून का कार्यान्वयन: कर विशेषज्ञों और सरकारी सूत्रों के अनुसार नया आयकर बिल 1 अप्रैल, 2026 से अर्थात वित्त वर्ष 2026-27 से लागू होने की संभावना है। झुनझुनवाला कहते हैं, ‘नया कानून 1 अप्रैल, 2026 से ही प्रभावी होने की संभावना है, जिसका अर्थ है कि मार्च 2025 और मार्च 2026 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्षों के लिए कर योग्य आय की गणना और इसकी रिपोर्टिंग अभी भी मौजूदा आयकर अधिनियम के तहत ही की जानी होगी।’

संसदीय समिति के पास भेजा जाएगा बिलः नए इनकम टैक्स बिल को शुक्रवार को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। लोकसभा में पेश किए जाने के बाद इसे संसदीय समिति के पास भेजा जाएगा। समिति अपनी सिफारिशें देगी, फिर सरकार कैबिनेट के माध्यम से इस पर निर्णय लेगी कि क्या इन संशोधनों को शामिल करने की जरूरत है।

इसके बाद विधेयक संसद में वापस आएगा और फिर सरकार इसके रोलआउट की तारीख पर फैसला करेगी। सरकार पिछले कई सालों से इनकम टैक्स कानून को आसान बनाने की कोशिश कर रही थी। इसके लिए 2018 में एक टास्क फोर्स बनाई गई थी, जिसने 2019 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

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