दिल्ली: ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ने भारत में बदलते समय के साथ काफी विकास किया है। इसके साथ ही लोगों की जरूरतें भी कारों को लेकर शुरुआत से अब तक काफी बदली हैं। भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री काफी सारे उतार-चढ़ावों के बीच मौजूदा समय में दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक बन गया है। सबसे दिलचस्प यह है कि इस यात्रा में डीजल कारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, समय के साथ डीजल कारों की संख्या भी काफी सीमित होती जा रही हैं, क्योंकि प्रदूषण की समस्या इतनी बढ़ गई है कि लोगों के पास कोई चारा नहीं है। तो चलिए आज हम आपको भारत में डीजल कारों के इतिहास के साथ ही पहली डीजल कार के बारे में बताते हैं।
कब लॉन्च हुई पहली डीजल कार: भारत में पहली डीजल कार हिंदुस्तान एंबैसडर डीजल थी, जो कि वर्ष 1958 में लॉन्च हुई थी। इस पॉपुलर कार का 1956 में पेट्रोल वर्जन भी पेश किया गया था, जिसे हिंदुस्तान मोटर्स ने बनाया था। एंबैसडर डीजल ने अपनी फ्यूल एफिसिएंसी और किफायती कीमत की वजह से जल्द ही लोकप्रियता हासिल कर ली।
टाटा इंडिका ने ला दी क्रांति: आपको बता दें कि वर्ष 1998 में टाटा मोटर्स ने टाटा इंडिका लॉन्च करके भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति ला दी थी। यह पहली कार थी, जिसे पूरी तरह से भारत में डिजाइन, डेवलप और मैन्युफैक्चर किया गया था। इंडिका पेट्रोल और डीजल इंजन ऑप्शन में उपलब्ध थी। टाटा इंडिका डीजल ने अपनी किफायती कीमत, मॉडर्न परफॉर्मेंस और पावरफुल परफॉर्मेंस के साथ भारतीय बाजार में धूम मचा दी।
डीजल कारों का बढ़ता प्रभाव: टाटा इंडिका की सफलता के बाद डीजल कारें भारत में तेजी से पॉपुलर हुईं। बेहतर माइलेज और कम रनिंग कॉस्ट के कारण ये कारें उन लोगों के लिए पसंदीदा विकल्प बन गईं, जो किफायती और विश्वसनीय कार चाहते थे। आज भी डीजल कारें भारतीय ऑटोमोबाइल मार्केट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में, कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण डीजल कारों पर प्रतिबंध लगाने की मांग बढ़ रही है।
इस तरह से कहा जा सकता है कि भारत में डीजल कारों का सफर रोमांचक रहा है। इन कारों ने देश के ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को आकार देने में अहम भूमिका निभाई है। भविष्य में डीजल कारों को प्रदूषण उत्सर्जन को कम करने और ज्यादा किफायती बनाने के लिए नई तकनीकों को अपनाने की जरूरत होगी।