दिल्ली: आरबीआई (RBI) ने रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। आपको बता दें कि यह लगातार आठवां मौका है, जब आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है। आरबीआई ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। तब से इसे लगातार यथावत रखा गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) ने की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी।
दास ने कहा कि फ्यूल की कीमतों में डिफ्लेशन चल रहा है लेकिन खाद्य महंगाई उच्च स्तर पर बनी हुई है। खाद्य महंगाई पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि खाने-पीने की चीजों की कीमत आगे भी ऊंची बनी रह सकती है। मॉनसून के सामान्य रहने से खरीफ के उत्पादन में तेजी की उम्मीद है। दास ने कहा कि गर्मी के कारण सब्जी की कीमतों में तेजी दिख रही है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में खाने-पीने की चीजों की कीमत में तेजी आई है। आरबीआई ने फाइनेंशियल ईयर 2025 में महंगाई के 4.5 फीसदी पर बने रहने का अनुमान जताया है। पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। आरबीआई ने फाइनेंशियल ईयर में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान सात फीसदी से बढ़ाकर 7.2 परसेंट कर दिया। दास ने कहा कि पहली तिमाही में इसके 7.3%, दूसरी तिमाही में 7.2%, तीसरी तिमाही में 7.3% और चौथी तिमाही में 7.2% रहने का अनुमान है।
क्या होता है रेपो रेट: रेपो दर से तात्पर्य उस दर से है जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपने देश के केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अपनी प्रतिभूतियाँ बेचकर पैसे उधार लेते हैं ताकि धन की कमी होने पर या कुछ वैधानिक उपायों के कारण तरलता बनाए रखी जा सके। मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए यह आरबीआई के मुख्य उपकरणों में से एक है।
क्या होता है रिवर्स रेपो रेट: रिवर्स रेपो रेट वह दर है जब आरबीआई बाज़ार में अतिरिक्त तरलता होने पर बैंकों से पैसे उधार लेता है। बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास अपनी होल्डिंग्स पर ब्याज प्राप्त करके इसका लाभ मिलता है।
अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के उच्च स्तर के दौरान, RBI रिवर्स रेपो को बढ़ाता है। यह बैंकों को अतिरिक्त निधियों पर उच्च रिटर्न अर्जित करने के लिए RBI के पास अधिक निधि जमा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। बैंकों के पास उपभोक्ताओं को ऋण और उधार देने के लिए कम धनराशि बचती है।
रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में क्या अंतर है?
रेपो दर | रिवर्स रेपो दर |
यह वह दर है जिस पर RBI बैंकों को पैसा उधार देता है | यह वह दर है जिस पर RBI बैंकों से पैसा उधार लेता है |
यह रिवर्स रेपो दर से अधिक है | यह रेपो दर से कम है |
इसका उपयोग मुद्रास्फीति और धन की कमी को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है | इसका उपयोग नकदी प्रवाह को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है |
इसमें उन प्रतिभूतियों की बिक्री शामिल है जिन्हें भविष्य में पुनर्खरीद किया जाएगा। | इसमें एक खाते से दूसरे खाते में धन का स्थानांतरण शामिल है। |