पटनाः बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह की आज जेल से रिहाई हो सकती है। पूर्व सांसद आनंद मोहन 15 दिन की पैरोल खत्म होने के बाद बुधवार को सहरसा जेल पहुंचे। आनंद मोहन को अपराह्न 12:00 बजे तक जेल पहुंचना था, लेकिन वह शाम 4:10 बजे पहुंचे।

इस बीच बिहार जेल नियमावली में बदलाव कर बाहुबली आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ होने के मुद्दे पर बीजेपी दो खेमों में बंट गई है। राज्य के कई वरिष्ठ नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व के उलट रुख अपनाते हुए फैसले को न सिर्फ उचित ठहराया है, बल्कि आनंद मोहन को पीड़ित, निर्दोष और बेचारा बताते हुए राज्य सरकार से प्रायश्चित करने की भी मांग की है। इसको लेकर सियासी गलियारे में यह संदेश जा रहा है कि पार्टी राज्य में दलित बनाम राजपूत की सियासत में उलझ गई है।

आपको बता दें कि आईएएस जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद मोहन सिंह की रिहाई पर केंद्रीय नेतृत्व ने कड़ा रुख अपनाया था। पार्टी के आईटी प्रकोष्ठ के मुखिया और प्रवक्ता अमित मालवीय ने इसे शर्मनाक बताया था। उन्होंने कहा था कि बड़े शर्म की बात है कि एक दलित आईएएस अधिकारी के हत्यारे की रिहाई के लिए सरकार ने नियमावली में शर्मनाक तरीके से बदलाव किया।

अमित मालवीय के बाद केंद्रीय नेतृत्व के रुख का अनुसरण करते हुए बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ पार्टी नेता सुशील मोदी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने भी नीतीश सरकार पर हमला बोला। सुशील मोदी ने कहा कि आनंद मोहन के बहाने सरकार मुस्लिम-यादव समीकरण के दुर्दांत अपराधियों पर मेहरबान है। जघन्य मामलों में सजायाफ्ता बंदियों की रिहाई असांविधानिक है।

वहीं, इन सभी बयानों के उलट केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आनंद मोहन को बेचारा बताया। उन्होंने कहा कि बेचारे आनंद मोहन लंबे समय तक जेल में रहे, उन्हें बलि का बकरा बनाया गया था। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि उन्हें जानबूझ कर षड्यंत्र का शिकार बनाया गया था। अब राज्य सरकार को प्रायश्चित करते हुए मुख्यमंत्री कुमार और लालू प्रसाद को माफी मांगनी चाहिए।

उधर, आनंद मोहन को रिहा किए जाने के फैसले पर आईएएस एसोसिएशन ने बिहार सरकार की निंदा करते हुए कहा कि यह फैसला सही नहीं है। आईएएस एसोसिएशन ने ट्वीट किया कि आनंद मोहन को रिहा किए जाने का फैसला बहुत ही निराश करने वाला है। उन्होंने (आनंद मोहन) जी. कृष्णैया की नृशंस हत्या की थी। ऐसे में यह दुखद है। बिहार सरकार जल्दी से जल्दी फैसला वापस ले। ऐसा नहीं होता है तो यह न्याय से वंचित करने के समान है।

 

 

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