दिल्लीः आठ साल के इंतजार के बाद मध्य वर्गीय लोगों की मुराद बुधवार को पूरी हुई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को अपने बजट भाषण में टैक्सपेयर्स को राहत देते हुए पांच बड़े एलान किए। नई टैक्स रिजीम का ऑप्शन चुनने वालों के लिए रिबेट की लिमिट 07 लाख रुपए कर दी गई। पहले ये 5 लाख रुपए थी, लेकिन आपकी इनकम 07 लाख रुपए से एक रुपया भी ज्यादा हुई तो इस रिबेट का फायदा आपको नहीं मिलेगा। आपको टैक्स चुकाना होगा। हालांकि 7 लाख रुपए से ज्यादा इनकम वालों के लिए वित्त मंत्री ने नए स्लैब्स का भी ऐलान कर दिया है। उनके लिए अब 03 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री होगी। यह है पहला बड़ा एलान।

आपको बता दें कि मौजूदा समय में जिनकी पांच लाख रुपये की कर योग्य आमदनी है, उन्हें दोनों कर व्यवस्था में कोई टैक्स नहीं देना होता था। अब यह लिमिट सात लाख रुपये होगी। छूट की यह सीमा नई कर व्यवस्था में बढ़ाई गई है। पुराने रिजीम के स्लैब में बदलाव को लेकर कोई एलान नहीं किया है।

इनकम टैक्स का स्लैब बदलाः वित्त मंत्री निर्माला सीतारमण ने नए रिजीम में आयकर में छूट की शुरुआती सीमा को बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने की घोषणा की। पहले यह सीमा ढाई लाख रुपये थी।

क्या होगा फायदा: इससे नई व्यवस्था में शामिल होने वाले करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी। किसी व्यक्ति की अगर सालाना आमदनी नौ लाख रुपये है तो उसे 45 हजार रुपये ही टैक्स देना होगा। यह उसकी आमदनी का पांच फीसदी ही होगा। उसे 25 फीसदी कम टैक्स देना होगा। पहले जहां उसे 60 हजार रुपये टैक्स देना होता था। अब उसकी जगह 45 हजार ही टैक्स देना होगा। इसी तरह अगर किसी की 15 लाख की सालाना आमदनी है तो उसे 1.5 लाख रुपये ही टैक्स देना होगा। यह उसकी आमदनी का 10% होगा। उसे अब 20 फीसदी कम टैक्स चुकाना होगा। पहले उसे 1,87,500 रुपये टैक्स देना होता था।

स्टैंडर्ड डिडक्शनः पेंशनर्स, फैमिली पेंशनर्स और तय वेतन पाने वाले लोगों को नई व्यवस्था में स्टैंडर्ड डिडक्शन में थोड़ी राहत मिलेगी। अगर आपकी आय 15.58 लाख रुपये या उससे ज्यादा है तो स्टैंडर्ड डिडक्शन में 52,500 रुपये का फायदा होगा। पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन 50,000 रुपये था।

सुपर रिच टैक्स में कमी हुईः भारत में सबसे ज्यादा आमदनी वालों के लिए टैक्स रेट 42.74% है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा था। इसे अब घटाकर 37% किया जा रहा है। अब यह भी जान लीजिए की यह फायदा मिलेगा कैसे? दरअसल, सुपर रिच लोगों के लिए हायर सरचार्ज रेट को 37% से घटाकर 25% किया जा रहा है। इस तरह पहले 42.74% लगने वाला सुपर रिच टैक्स अब 37% होगा।

लीव एनकैशमेंटः आयोकर को लेकर यह पांचवी बड़ी घोषणा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गैर-सरकारी वेतनशुदा कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर लीव एनकैशमेंट में आयकर छूट की सीमा 2002 में तीन लाख रुपये तय की गई थी। उस वक्त सरकार में उच्चतम बेसिक पे 30 हजार रुपये होती थी। इस सीमा को बढ़ाकर 25 लाख रुपये किया जा रहा है यानी 25 लाख रुपये तक के लीव एनकैशमेंट पर टैक्स नहीं लगेगा।

अन्य महत्वपूर्ण बातें… आपको बता दें कि नए इनकम टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट रिजीम बना दिया जाएगा, लेकिन पुरानी व्यवस्था में भी जा सकेंगे। आयकर रिटर्न 2013-14 में 93 दिन में प्रोसेस हो रहे थे, अब 16 दिन में ही हो रहे हैं। 45% रिटर्न तो 24 घंटे में ही प्रोसेस कर दिए गए। टैक्स पोर्टल पर एक दिन में अधिकतम 72 लाख रिटर्न प्राप्त हुए थे।

बजट में आयकर को लेकर की गई घोषणाओं को अब इस तरह से समझिए…

पुरानी टैक्स रिजीम के तहत 2.5 लाख से ज्यादा इनकम पर टैक्स लगेगाः

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्माला सीतारमण की घोषणा के बाद अगर आप आईटीआर करने के लिए पुरानी टैक्स रिजीम को चुनते हैं, तो आपको 2.5 लाख रुपए तक की सालाना इनकम ही टैक्स फ्री रहेगी। अगर आपकी इनकम 2.5 से 5 लाख के बीच है तो आपको 5 लाख – 2.5 लाख = 2.5 लाख रुपए पर 5% टैक्स देना होगा। हालांकि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A का फायदा उठाकर आप अब भी 5 लाख रुपए तक की सालाना इनकम पर टैक्स बचा सकेंगे।

आपको बता दें कि सरकार 2.5 लाख से 5 लाख तक की कमाई पर 5% की दर से इनकम टैक्स तो वसूलती है, लेकिन इस टैक्स को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत माफ कर देती है। इसका सीधा सा मतलब यह कि अगर किसी की सालाना टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए तक है, तो उसे कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता है, लेकिन अगर आपकी कमाई 5 लाख 10 हजार रुपए हुई तो आपको 10 हजार रुपए पर टैक्स देने के बजाय 5.10 लाख – 2.5 लाख = 2.60 लाख पर टैक्स देना होता है।

आईटीआर के लिए मिलते हैं 02 ऑप्शनः आपको बता दें कि मौजूदा समय में इनकम टैक्स रिटर्न यानी ITR फाइल करने के 02 ऑप्शन मिलते हैं। 01 अप्रैल 2020 को नया ऑप्शन दिया गया था। सरकार ने नए टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट ऑप्शन कर दिया है। यानी बजट में इनकम टैक्स से दी गई राहत सिर्फ इसी पर लागू होगी। अगर आप पुराना टैक्स रिजीम चुनते हैं तो आपको ये राहत नहीं मिलेगी। यदि आप पुराना टैक्स रिजीम चुनते हैं तो आपको अपने निवेश के लिए सारे डॉक्यूमेंट देने होंगे और पुराने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा।

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