पटनाः 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा। यानी 2025 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार नहीं,  बल्कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे। नीतीश कुमार पटना में महागठबंधन के विधायकों की बैठक में इसकी घोषणा की। नीतीश ने कहा कि 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। मेरा लक्ष्य 2024 में होने वाले लोकसभा में बीजेपी को हराना है। मैं सीएम या पीएम पद का उम्मीदवार नहीं बनना चाहता हूं।

बिहार के वित्त मंत्री एवं जदयू के वरिष्ठ नेता विजय चौधरी ने बताया कि बिहार विधानसभा के बाद महागठबंधन विधानमंडल दल की बैठक हुई थी। उसमें मुख्यमंत्री ने यह साफ कर दिया कि मेरे बाद जो नेतृत्व होगा वह तेजस्वी यादव का होगा। यानी 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।

शराबबंदी को लेकर महागठबंधन के विधायकों की ओर से सवाल उठाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तमाम नेताओं के सामने स्पष्ट कर दिया कि शराबबंदी के फैसले के वक्त सभी दलों का समर्थन मिला था। अब इस पर सवाल उठाने का कोई औचित्य नहीं है।

इससे पहले नालंदा में भी सोमवार को डेंटल कॉलेज के उद्घाटन में सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हम तो कब से बिहार में विकास का काम करवा रहे हैं, लेकिन तेजस्वी जी को आगे बढ़ाना है। हमको तो जितना करना था, वह कर दिए। अब इनसे एक-एक काम करवाना है। इसके लिए अब ये सबकुछ देख रहे हैं, समझ रहे हैं। एक-एक काम करने की कोशिश कर रहे हैं।

वहीं इस दौरान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि हम लोग नीतीश जी के नेतृत्व में विकास के लिए हरसंभव कदम उठा रहे हैं। बेसिक एमेनिटीज, पढ़ाई, दवाई और कमाई को दुरुस्त करने पर काम किया जा रहा है।

उधर, आरजेडी विधायक राहुल तिवारी ने बताया कि बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व की बात तो कही ही साथ ही, उन विधायकों को भी चेताया जो यह कहते हैं कि हमारी बात अधिकारी नहीं सुनते हैं। मुख्यमंत्री ने विधायकों से कहा कि गलत पैरवी लेकर जाएंगे तो अधिकारी आपकी नहीं सुनेंगे। यदि सम्मान पाना है तो गलत का साथ छोड़ दीजिए।

उन्होंने बताया कि शराबबंदी को लेकर कांग्रेस के विधायकों को चिह्नित करते हुए मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जब शराबबंदी हो रही थी, तो जलील मस्तान मद्य निषेध मंत्री थे, जो कांग्रेस के थे और उन्हीं के नेतृत्व में यह शराबबंदी हुई थी। ऐसे में यदि पूर्व विधायक सवाल उठाता है, तो उससे पहले समझ लेना चाहिए कि वह किस आधार पर सवाल उठा रहे हैं।

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