दिल्लीः वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष बन गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव के नतीजे का बुधवार को ऐलान हुआ। इस चुनाव में खड़गे ने वरिष्ठ नेता शशि थरूर को 6825 वोट से हराया। खड़गे को 7897 वोट मिले, वहीं थरूर ने 1072 मत हासिल किया। 416 वोट खारिज कर दिए गए। इसके साथ ही 24 साल बाद कांग्रेस पार्टी की कमान गैर-गांधी परिवार के हाथ में चली गई। खड़गे 26 अक्टूबर को अध्यक्ष पद की शपथ लेंगे।

यदि आंकड़ों के हिसाब से देखें, तो 24 साल पहले चुनी गईं सोनिया गांधी के बाद खड़गे सबसे बड़े अंतर से पार्टी अध्यक्ष का चुनाव जीते हैं। कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए आखिरी बार 1998 में वोटिंग हुई थी। तब सोनिया गांधी के सामने जितेंद्र प्रसाद थे। सोनिया गांधी को करीब 7,448 वोट मिले, जबकि जितेंद्र प्रसाद 94 वोटों पर ही सिमट गए थे। वहीं खड़गे इस पद पर पहुंचने वाले दूसरे दलित राजनेता हैं।

खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले 65वें नेता हो गए हैं। वे बाबू जगजीवनराम के बाद कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले दूसरे दलित नेता हैं। खड़गे की जीत जिनती बड़ी है, उतनी ही चुनौतियां भी उनके सामने हैं। वे ऐसे समय पार्टी आलाकमान की जिम्मेदारी लेने आगे आए हैं, जब पार्टी केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही सरकार में है। वहीं, झारखंड और तमिलनाडु में पार्टी गठबंधन सरकार में शामिल है, लेकिन मुख्यमंत्री दूसरे दलों के हैं।

खड़गे जब अध्यक्ष बने हैं. तो इसी साल हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव हैं। वहीं, अगले साल यानी 2023 में मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र समेत 10 राज्यों में चुनाव होने हैं। ऐसे में खड़गे के सामने पार्टी को एकजुट करने और चुनाव मैदान में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती होगी।

जीत के बाद खड़गे ने बुधवार शाम को मीडिया से बात की। उन्होंने करीब 9 मिनट की बातचीत में गांधी परिवार की तारीफ करते हुए कहा कि आजादी के 75 सालों में कांग्रेस ने इस देश के लोकतंत्र को मजबूत किया और संविधान की रक्षा की है। आज लोकतंत्र खतरे में हैं और संविधान पर हमले हो रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस ने आंतरिक चुनाव लोकतंत्र को मजबूत किया है। देश में नफरत फैलाई जा रही है। इसके खिलाफ राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं। देश उनके संघर्ष के साथ है।

खड़गे ने कहा कि गरीब परिवार में जन्में एक कार्यकर्ता को पार्टी ने अध्यक्ष बनाया है, इसके लिए मैं शुक्रगुजार हूं। कांग्रेस में सब बराबर हैं। हम सभी को पार्टी के कार्यकर्ताओं की तरह काम करना है, पार्टी में कोई भी बड़ा या छोटा नहीं होता है। हमें साम्प्रदायिकता की आड़ में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला करने वाली फासीवादी ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा।

आपतो बता दें कि 1885 में कांग्रेस के गठन के बाद पिछले 137 साल में पार्टी अध्यक्ष पद के लिए कुछ 6 बार चुनाव हुए हैं। बाकी समय पार्टी अध्यक्ष या तो सर्व सम्मति से ही पद पर काबिज होते रहे हैं। जिन 6 बार चुनाव हुए, उनमें 5 बार जीतने वाले नेता गांधी परिवार से बाहर के रहे हैं। नीचे दिए ग्राफिक के जरिए आप कांग्रेस में चुनाव से बने सभी अध्यक्षों के बारे में जान सकते हैं…

वहीं, 1947 में आजादी के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को मिलाकर कांग्रेस के 17 नेता पार्टी अध्यक्ष बन चुके हैं। इनमें 5 गांधी परिवार से थे, जबकि 12 गैर गांधी राजनेता थे। हालांकि, इन 75 साल में से 42 साल तक पार्टी की कमान गांधी परिवार के पास रही। कुल 33 साल ही पार्टी अध्यक्ष की बागडोर गांधी परिवार से अलग नेताओं के पास रही।

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