दिल्लीः गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। आजाद ने सोनिया गांधी को लिखे इस्तीफे में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर तल्ख टिप्पणी की है, जिसको लेकर पार्टी के बिफर गए हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि आजाद का डीएनए (DNA) मोदी-फाइड हो चुका है। (GNA’s DNA has been modi-fied)। वहीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आजाद को संजय गांधी का चापलूस तक कह डाला।
गहलोत ने शुक्रवार को जयपुर में मीडिया से कहा कि संजय गांधी के वक्त में ये सब चापलूस ही माने जाते थे। तब कई नेता कहते भी थे कि संजय गांधी चापलूसों से घिरे हुए हैं। उस वक्त संजय गांधी अगर दबाव में आकर उन्हें हटा देते, तो आज गुलाम नबी आजाद का नाम देश के लोग नहीं जानते
उन्होंने कहा कि आज ये जिन लोगों को चापलूस कह रहे हैं, उस वक्त गुलाम नबी आजाद समेत जो लोग भी संजय गांधी के साथ थे। वे चापलूस ही माने जाते थे। साइकोफेंट माने जाते थे। संजय गांधी ने परवाह नहीं की। आजाद इतने बड़े नेता बने। उस वक्त कई नेता कहते थे कि संजय गांधी चापलूसों से घिरे हुए हैं। उस वक्त संजय गांधी अगर दबाव में आकर हटा देते तो आज गुलाम नबी आजाद का नाम देश के लोग नहीं जानते।
उन्होंने कहा कि संजय गांधी भी कई लोगों की बात नहीं मानते थे। दूसरे कई नेता और गुलाम नबी आजाद उन्हीं के प्रोडक्ट हैं। संजय गांधी यूथ कांग्रेस में थे। तब उन पर एक्स्ट्रा कांस्टीट्यूशनल अथॉरिटी बनने के आरोप लगे थे। उस वक्त के प्रोडक्ट ही आगे जाकर मुख्यमंत्री, मंत्री, केंद्रीय मंत्री और पार्टी संगठन में बड़े-बड़े पदों पर पहुंचे। पदों पर 90 फीसदी वे नेता पहुंचे, जो संजय गांधी के साथ थे।
राजस्थान के सीएम ने कहा, “गुलाम नबी आजाद संजय गांधी के बहुत करीब रहे हैं। उस समय मेरी तरह देश के कई नेताओं के संजय गांधी से विचार मेल नहीं खाते थे, वे विरोधी थे। फिर भी मैं एमपी बना। कई पदों पर मौका मिला। लंबी कहानी है, राजनीति में चलता रहता है।“
आइए अब आपको बताते हैं कि गुलाम नबी आजाद को लेकर किसने क्या कहा…
आनंद शर्मा- लंबे समय तक आजाद के सहयोगी रहे और G-23 ग्रुप के सदस्य आनंद शर्मा ने कहा कि आजाद के फैसले ने मुझे चौंका दिया है। वहीं G-23 ग्रुप के एक अन्य सदस्य संदीप दीक्षित ने आजाद को पत्र लिखा है और कहा है कि बात पार्टी में बदलाव की थी, आपने तो बगावत कर दिए।
मल्लिकार्जुन खड़गे- कांग्रेस आज मुसीबत में है, सबको बीजेपी और आरएसएस (RSS) के खिलाफ लड़ना है। लड़ाई के समय युद्ध से भागना पार्टी के साथ धोखा है। कांग्रेस ने उन्हें सब कुछ दिया है। ऐसे समय में आपका फर्ज है उस कर्ज को चुकाना।
सलमान खुर्शीद- अगर इनके करियर पर हम नजर दौड़ाएं तो बहुत बार इन्होंने ऐसी बात कही होंगी और हर बार इनको कुछ मिलता था। अगर एक बार नहीं मिला तो वह नाराज हो गए। मैं नहीं समझता कि अगर मुझे कुछ नहीं मिला तो मैं पार्टी को नुकसान पहुंचाऊं।
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा- आजाद और मेरे लिखे गए पत्र में काफी समानता हैं। सबको पता है कि राहुल अपरिपक्व और अप्रत्याशित नेता हैं। सोनिया गांधी ने अब तक बस अपने बेटे को ही आगे बढ़ाने का काम किया है, जो अब तक विफल रहा है।
सुनील जाखड़- गुलाम नबी का इस्तीफा कांग्रेस के अंत की शुरुआत है। ये सिलसिला चलता चला जाएगा। कांग्रेस का अंत अभी और गति पकड़ेगा। कांग्रेस के लिए अब अपनी कमजोरियों को देखने का समय है।
भूपेश बघेल- आजाद कांग्रेस में रहकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे। कांग्रेस पार्टी ने उनको वह सारी जिम्मेदारियां दी जो दी जा सकती थीं, लेकिन फिर भी वे खामियां निकालते रहे। उनके जाने से पार्टी को कुछ नुकसान नहीं होगा।
गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे के बाद कहा कि वह जम्मू-कश्मीर वापस जाएंगे और नई पार्टी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि गांधी परिवार से मेरा रिलेशन ठीक है। मैंने लेटर में जो भी लिखा है, वह कांग्रेस के लिए लिखा है। इधर, आजाद के इस्तीफा देने के बाद जम्मू-कश्मीर में 5 पूर्व विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है।
इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री आरएस चिब ने भी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। चिब ने कहा है कि कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर के भविष्य में योगदान देने की गति खो दी है। लोगों को गुलाम नबी आजाद जैसे फैसला लेने वाले नेता की आवश्यकता है, जो उन्हें बेहतर भविष्य की तरफ ले जा सके।
आपको बता दें कि आजाद ने अपने इस्तीफे में कहा है कि राहुल गांधी ने पार्टी में एंट्री के साथ ही सलाह के मैकेनिज्म को तबाह कर दिया। खासतौर पर जनवरी 2013 में उनके उपाध्यक्ष बनने के बाद तो पार्टी में यह सिस्टम पूरी तरह बंद हो गया। सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइड लाइन कर दिया गया और गैर-अनुभवी चापलूसों का नया ग्रुप बन गया, जो पार्टी चलाने लगा।