दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने दवा कंपनियों की ओर से डॉक्टरों को मिलने वाले उपहारों को लेकर सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई करते हुए गुरुवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में ऐसा दावा किया गया है,  जिसको सुनकर जज भी हैरान रह गए। याचिका में कहा गया है कि जो डॉक्टर उपहार लेकर दवा की सलाह देते हैं, उनके इसके लिए जिम्मेदार भी होना चाहिए। उदाहरण के तौर पर डोलो-650 जिसे अकसर बुखार में दिया जाता है। इस दवा की बिक्री बढ़ाने के लिए डॉक्टरों को एक हजार करोड़ रुपये के उपहार दिए गए। जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा, “यह बेहद गंभीर मामला है।: बेंच ने केंद्र सरकार से 10 दिन के अंदर इस संबंध में जवाब दायर करने को कहा।

सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “यह सुनकर बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है। जब मुझे कोरोना था तो मुझसे भी यही दवा लेने को कहा गया था। यह तो बहुत की गंभीर मामला है।“

आपको बता दें कि फेडरेशन ऑफ मेडिकल ऐंड सेल्स रिप्रजंटेटिवंस असोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से यह याचिका फाइल की गई थी। फेडरेशन की तरफ से पेश हुए वकीलल संजय पारिक ने कहा कि डोलो ने डॉक्टरों को एक हजार करोड़ रुपये के मुफ्त उपहार दिए, ताकि उनकी दवा का प्रमोशन हो।

वहीं सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने भी छापेमारी के बाद दावा किया था कि दवा निर्माता कई तरह की अनैतिक गतिविधियां करता है। सीबीडीटी ने कहा था कि 300 करोड़ रुपये की टैक्स की चोरी भी की गई। एजेंसी ने कंनपी के 36 ठिकानों पर छापेमारी की थी।

 

 

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