नागपुरः केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मौजूदा समय की राजनीति व्यवस्था को लेकर की दुखी है। महज दुखी ही नहीं, बल्कि राजनीति छोड़ने के बारे में भी सोचने लगे हैं। गडकरी ने शनिवार को नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि कभी-कभी मन करता है कि राजनीति ही छोड़ दूं। समाज में और भी काम हैं, जो बिना राजनीति के किए जा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के समय की राजनीति और आज की राजनीति में बहुत अंतर है। इसमें बड़ा बदलाव हुआ है। बापू के समय में राजनीति देश, समाज, विकास के लिए होती थी, लेकिन अब राजनीति सिर्फ सत्ता के लिए होती है। उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि राजनीति का क्या मतलब है। क्या यह समाज, देश के कल्याण के लिए है या सरकार में रहने के लिए है?

नितिन गडकरी ने कहा कि राजनीति गांधी के युग से ही सामाजिक आंदोलन का हिस्सा रही है। उस समय राजनीति का इस्तेमाल देश के विकास के लिए होता था। आज की राजनीति के स्तर को देखें तो चिंता होती है। आज की राजनीति पूरी तरह से सत्ता केंद्रित है। मेरा मानना है कि राजनीति सामाजिक-आर्थिक सुधार का एक सच्चा साधन है। इसलिए नेताओं को समाज में शिक्षा, कला आदि के विकास के लिए काम करना चाहिए।

नागपुर में सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश गांधी को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए गडकरी ने दिवंगत समाजवादी राजनेता जॉर्ज फर्नांडीस की सादगीपूर्ण जीवन शैली के लिए उनकी प्रशंसा की। गडकरी ने कहा कि मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा, क्योंकि उन्होंने कभी भी सत्ता की भूख की परवाह नहीं की। उन्होंने ऐसा प्रेरणादायक जीवन जिया…जब लोग मेरे लिए बड़े-बड़े गुलदस्ते लाते हैं या मेरे पोस्टर लगाते हैं, तो मुझे इससे नफरत है।

गडकरी ने कहा कि जब गिरीश भाऊ राजनीति में थे, तो मैं उन्हें हतोत्साहित करता था, क्योंकि मैं भी कभी-कभी राजनीति छोड़ने के बारे में सोचता हूं। ​​​​राजनीति के अलावा, जीवन में कई चीजें हैं जो करने योग्य हैं।

आपको बता दें कि नितिन गडकरी अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब गड़करी ने इतनी साफगोई से अपनी बातें रखी हैं। हाल ही में उनका एक और बयान बड़ा चर्चित हुआ था। गडकरी ने कहा था कि आजकल हर किसी की समस्या है, हर कोई दुखी है। जो मुख्यमंत्री बनते हैं, वह इसलिए परेशान रहते हैं कि पता नहीं कब हटा दिया जाए। विधायक इसलिए दुखी हैं, क्योंकि वो मंत्री नहीं बन पाए। मंत्री इसलिए दुखी हैं, क्योंकि उन्हें अच्छा विभाग नहीं मिला। अच्छे विभाग वाले इसलिए दुखी हैं, क्योंकि वो मुख्यमंत्री नहीं बन पाए।

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