मुंबई: जिनसे खाई में धकेलने की उम्मीद थी वे ही साथ खड़े हुए और जो मेरे अपने थे, वे साथ छोड़कर चले गए। यह बाते महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कही। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के पहले राज्य के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी रुचि ‘संख्याबल के खेल’ में नहीं है और इसलिए वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं।
उद्धव ने वेबकास्ट पर कहा, “मैं विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं।“ इसके साथ ही उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे सड़कों पर प्रदर्शन करने नहीं उतरें। महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को गुरुवार को विधानसभा में बहुमत साबित करने संबंधी राज्यपाल के निर्देश पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट के इनकार करने के कुछ मिनट बाद उन्होंने यह बातें कहीं। आपको बता दें कि एमवीए में शिवसेना के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस सहयोगी हैं।
उद्धव ने कहा कि उन्हें अपना पद छोड़ने पर कोई असफोस नहीं है। इसके साथ ही शिवसेना अध्यक्ष ने पार्टी कार्यकर्ताओं से बागी विधायकों को लौटने देने और उनके खिलाफ प्रदर्शन नहीं करने की अपील की।
उधर, करीब एक सप्ताह से गुवाहाटी में डेरा डाले शिवसेना के बागी विधायक बुधवार शाम को वहां से विशेष विमान में रवाना हुए और गोवा पहुंचे। उद्धव ने बागी विधायकों को पर निशाना साधते हुए कहा, “शिवसेना और बाला साहेब ठाकरे की वजह से राजनीतिक रूप से बढ़े बागियों को उनके (बालासाहेब) बेटे के मुख्यमंत्री पद से हटने पर खुश और संतुष्ट होने दें। मैं संख्याबल के खेल में शामिल नहीं होना चाहता हूं। मैं शर्मिंदा महसूस करूंगा, अगर मैं देखूंगा कि पार्टी का ही सहयोगी मेरे खिलाफ खड़ा है।“
उन्होंने कहा कि मुंबई में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और शिवसैनिकों को हिरासत में लिया गया है। ठाकरे ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी ने बुधवार शाम को हुई मंत्रिमंडल की आखिरी बैठक में औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने के फैसले का विरोध नहीं किया। उन्होंने एमवीए सरकार चलाने के दौरान सहयोग के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को भी धन्यवाद ज्ञापित किया। ठाकरे ने बागियों का संदर्भ देते हुए कहा, “कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने मुझसे कहा कि अगर बागी चाहते हैं तो कांग्रेस सरकार से हटने और बाहर से समर्थन करने को तैयार है। जिनसे खाई में धकेलने की उम्मीद थी वे ही साथ खड़े हुए जबकि मेरे अपने मेरा साथ छोड़कर चले गए।“
उद्धव ने कहा, “आपकी समस्या क्या थी? सूरत और गुवाहाटी जाने के बजाय आप सीधे मेरे पास आ सकते थे और अपनी राय रख सकते थे।“ उन्होंने कहा, ‘शिवसेना आम लोगों की पार्टी है और उसने कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है।“ उन्होंने कहा कि वह पार्टी का पुनर्निर्माण करेंगे। उन्होंने कहा, “मैं शिवसैनिकों का साथ खड़ा रहने के लिए धन्यवाद व्यक्त करता हूं, जो शिवसेना की वजह से राजनीतिक रूप से बढ़े वे असंतुष्ट हैं जबकि जिन्हें कुछ नहीं मिला वे निष्ठावान हैं।“