दिल्लीः बेवजह हर पल भारत को कोसने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान का इन दिनों भारत प्रेम जाग उठा है। कुर्सी जाती देख इमरान भारत की तारीफ में कसीदे गढ़ने लगे हैं। इमरान ने शुक्रवार की रात राष्ट्र के नाम अपने संबोधन के दौरान उन्होंने इसकी भारत की विदेश नीति की जमकर तारीफ की। यह दूसरा मौका है, जब महज चंद दिनों में इमरान ने भारत की विदेश नीति की सराहना की है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान ने एक दूसरे के साथ स्वतंत्रता प्राप्त की थी। हम भारत का एक अच्छा दोस्त नहीं बन सके। दूसरी ओर, भारत एक काफी संप्रभु राष्ट्र है। वे अपने और अपने देश में विश्वास करते हैं।
उन्होंने कहा, ”भारत को अपने आप पर बहुत गर्व है। कोई भी महाशक्ति उनके लिए शर्तें तय नहीं कर सकती है। उसे आंख दिखाने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता है। वो रूस से तेल खरीद रहे हैं, जबकि उस पर बैन लगा हुआ है। मैं पाकिस्तान के लिए भी यही चाहता हूं। मैं भी अपने लोगों के लाभ को समझता हूं और इसे प्राथमिकता देता हूं।”
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता एवं प्रधानमंत्री इमरान ने शुक्रवार को देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुझे काफी मायूसी हुई। सुप्रीम कोर्ट को विचार करना चाहिए था कि आखिर साजिश क्या थी।
उन्होंने भारत की तारीफ करते हुए कहा, ”भारत हमारे साथ आजाद हुआ। उसे मैं बहुत बेहतर जानता हूं। मेरे वहां कई दोस्त हैं। वह एक खुद्दार कौम है। भारत को आंख दिखाने की किसी की जुर्रत नहीं है। वह रूस से तेल खरीद रहे हैं, जबकि उस पर बैन लगा हुआ है। मैं पाकिस्तान के लिए भी यही चाहता हूं।”
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ने अपने संबोधन में आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी उल्लेख किया और कहा मेरे हिन्दुस्तान की सरकार के साथ रिश्ते सिर्फ आरएसएस की वजह से बिगड़े, नहीं तो हमारे अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ बहुत अच्छे संबंध रहे हैं।
आपको बता दें कि इमरान खान ने इससे पहले भी भारत की विदेश नीति की तारीफ की थी। उन्होंने अपने एक संबोधन में कहा था, ”मैं आज हिंदुस्तान को सलाम करता हूं। इसने हमेशा एक स्वतंत्र विदेश नीति बनाए रखी है।” उन्होंने आगे कहा था, ”भारत क्वाड गठबंधन का सदस्य है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका इसके सदस्यों में से एक है। लेकिन भारत अभी भी खुद को न्यूट्रल कहता है। भारत रूस से तेल आयात कर रहा है, जो प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत की विदेश नीति अपने लोगों के लिए है।”