दिल्लीः दिल्ली मेट्रो पहली बार चालू रेलवे लाइन के नीचे से 110 मीटर लंबी टनल बनाकर मेट्रो दौड़ाएगी। ऐसा पहली बार होगा कि मेट्रो एक साथ कई रेलवे ट्रैक को एक साथ भूमिगत लाइन के जरिए पार करेगी। मेट्रो कॉरिडोर का ट्रैक यह मौजूदा रेलवे लाइन से 23 मीटर नीचे बनाया जाएगा।
आपको बता दें कि मेट्रो प्रबंधन यह काम मेट्रो फेज चार में बन रहे सिल्वर लाइन (एरोसिटी से तुगलकाबाद) कॉरिडोर पर करने जा रही है। दिल्ली मेट्रो पलवल जाने वाले रेल मार्ग पर 17 जोड़ी रेलवे ट्रैक को पार करेगी। इस कॉरिडोर को वर्ष 2025 तक पूरा करने की योजना है।
ऐसा पहली बार होगा कि जब मेट्रो एक साथ कई रेलवे ट्रैक को एक साथ भूमिगत लाइन के जरिए पार करेगी। मेट्रो कॉरिडोर का ट्रैक मौजूदा रेलवे लाइन से 23 मीटर नीचे बनाया जाएगा। वहीं, रेलवे ट्रैक और मेट्रो टनल की छत के बीच 15 मीटर की दूरी होगी। इस दौरान दिल्ली-पलवल रूट पर चलने वाली ट्रेन का परिचालन प्रभावित न हो इसका ध्यान रखा जाएगा। इंजीनियरिंग के लिहाज से यह बेहद कठिन होगा, मगर मेट्रो पहले ही इंजीनियरिंग की कई मिसाल पेश कर चुकी है।
आपको बता दें कि मौजूदा समय में दिल्ली मेट्रो को वायलेट लाइन (कश्मीरी गेट से फरीदाबाद) पर तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन है। फेज चार में बन रही सिल्वर लाइन पर एक नया तुगलकाबाद रेलवे कॉलोनी स्टेशन बन रहा है। मेट्रो दोनों स्टेशन को आपस में कनेक्ट करेगा, जिससे भविष्य में फरीदाबाद की ओर से आने वाले यात्रियों को सिल्वर लाइन से एयरपोर्ट पर पहुंचना आसान हो। दोनों स्टेशनों के बीच यह रेलवे लाइन है। दोनों को कनेक्ट करने के लिए 110 मीटर लंबी टनल बनाई जा रहा है जो 17 जोड़ी रेलवे ट्रैक के नीचे से गुजरेगी। इसके लिए टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) का प्रयोग किया जाएगा।
दिल्ली मेट्रो फेज चार में बन रहा सिल्वर लाइन कॉरिडोर 23.62 किलोमीटर लंबा है। यह एयरपोर्ट को सीधे मेट्रो से कनेक्ट करेगा। दक्षिणी दिल्ली के कई इलाके इससे सीधे जुड़ेंगे। इसका 19 किलोमीटर से ज्यादा हिस्सा भूमिगत है, जबकि चार किलोमीटर का हिस्सा एलिवेटेड कॉरिडोर है। इस पर कुल 15 मेट्रो स्टेशन पड़ेंगे जिसमें चार इंटरचेंज स्टेशन एरोसिटी, छतरपुर, साकेत जी ब्लॉक और तुगलकाबाद स्टेशन होंगे।
दिल्ली मेट्रो फेज से जुड़ी अहम बातें
– 23.62 किलोमीटर लंबा है सिल्वर लाइन कॉरिडोर
– 15 मेट्रो स्टेशन बनेंगे
– 19.34 किलोमीटर भूमिगत होगी
– 4.27 किलोमीटर का हिस्सा एलिवेटेड होगा
– 2025 तक कॉरिडोर पूरा करने की योजना