दिल्ली: सरकारी नौकरियों में प्रोमोशन में आरक्षण किस तरह से दिया जाए यह राज्य सरकारें तय करें। यह बातें सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरकारी नौकरी में एससी-एसटी (SC-ST Reservation) को प्रोमोशन में आरक्षण के मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कही। कोर्ट ने शुक्रवार को 2018 में दिए जरनैल सिंह से संबंधित विवाद के मामले में  उठे सवाल पर अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा प्रमोशन में रिजर्वेशन के लिए अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का डेटा तैयार करने की जिम्मेदारी राज्य की है। कोर्ट इसके लिए कोई मापदंड तय नहीं कर सकता है।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि 2006 के नागराज और 2018 के जरनैल सिंह मामले में संविधान पीठ के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट कोई नया पैमाना नहीं बना सकती है। केंद्र और राज्यों से जुड़े आरक्षण के मामलों में स्पष्टता पर सुनवाई 24 फरवरी से शुरू होगी।

जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच में तमाम पक्षकारों की ओर से दलील पेश की गई थी। इस दौरान राज्य सरकारों की ओर से पक्ष रखा गया था,  जबकि केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल ने दलील पेश की। सुप्रीम कोर्ट ने तमाम दलील के बाद फैसला 26 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

उस समय कोर्ट ने कहा था कि वह उस फैसले को दोबारा नहीं ओपन करेगा जिसमें कहा गया है कि एससी और एसटी को रिजर्वेशन में प्रोमोशन दिया जाएगा, ये राज्य को तय करना है कि इसे कैसे लागू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच के सामने कई राज्यों की ओर से यह कहा गया था कि एससी और एसटी को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने में कुछ बाधाएं हैं जिन्हें देखने की जरूरत है। कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने कहा था कि वह इस बात को साफ करना चाहते हैं कि कोर्ट के पांच जजों की बेंच का नागराज और जरनैल सिंह से संबंधित वाद में दिए गए फैसले में वह दोबारा नहीं जाना चाहते। उन फैसलों को दोबारा ओपन करने की जरूरत नहीं है

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