दिल्लीः क्या सीबीआई किसी वीआईपी के बेटे के किडनैपिंग के मामले में भी इसी तरह से जवाब देती? यह सवाल एक बेबस पिता ने गुरुवार को उस सिस्टम से किया, जिसके भरोस हम खुद को महफूज समझते हैं और इंसाफ की आस लगाए बैठे रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट में किडनैपिंग के मामले में वर्चुअल सुनवाई के दौरान हाथ जोड़े पिता ने जब यह सवाल किया, तो दृश्य भावुक बन गया।
पिता ने कहा कि उनका बेटा तीन साल पहले किडनैप हुआ, लेकिन अभी तक उसका अता-पता नहीं चल पाया है। क्या सीबीआई किसी वीआईपी के बेटे के किडनैपिंग के मामले में भी इसी तरह से जवाब देती?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पिता ने बताया कि उनका बेटा तीन साल पहले किडनैप हुआ था, जिसकी जांच बेंगलुरु पुलिस कर रही थी, लेकिन, विधानसभा चुनाव होने की वजह से मामले की छानबीन कर्नाटक सीआईडी को दी गई। बाद में छानबीन का जिम्मा सीबीआई को दिया गया। पिता ने बताया कि अभी तक उन्हें नहीं मालूम की छानबीन में क्या प्रगति है। वह एक साधारण आदमी हैं और प्रशासन की दया पर निर्भर हैं।
इस मामले की सुनवाई गुरुवार को जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच हो रही थी। इस दौरान लाचार पिता ने कहा कि बेटे की किडनैपिंग के मामले में तीन साल हो गए और अभी तक कुछ पता नहीं चला है कि क्या हुआ। क्या किसी वीआईपी के बेटे की किडनैपिंग हुई होती तो सीबीआई ऐसे ही प्लेन जवाब देती। इस मामले में सीआईडी के पास कुछ तथ्य हैं जिसके बारे में सीबीआई को छानबीन करनी चाहिए। संदिग्ध के फोन और सिम के बारे में जानकारी मिल सकती है।
पिता ने कहा कि हमें हमारे बच्चे की बॉडी ही लाकर दे दें ताकि हम जी भर के रो लें। अभी हम न जी पा रहे हैं और न मर सकते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने कहा कि हम समझ सकते हैं कि आपकी परेशानी कितनी ज्यादा है। तीन साल से बच्चे का पता नहीं चला है। हमारी पूरी सहानुभूति है। ऐसा करेंगे कि आप जांच एजेंसी के टच में रहें।
सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी के एडिशनल एसपी से कहा है कि वह हफ्तेभर में सीआईडी से मामले के बारे में तमाम जानकारी ले। साथ ही कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करे। अब इस मामले में अगली सुनवाई 16 अगस्त होगी।