मानते नहीं, तो जानते भी नहीं कि कैसे बर्थ कंट्रोल करें

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नई दिल्ली
हमारे देश में बर्थ कंट्रोल के रूप में सबसे ज्यादा प्रचलन नसबंदी, कॉन्डम और गर्भनिरोधक गोलियां ही हैं, जबकि एनएचएसयूके के मुताबिक, ऐसे बहुत से गर्भनिरोधक तरीके भी हैं, जिनके बारे में लोगों की जागरूकता सीमित है। आमतौर पर लोग कंडोम और नसबंदी के बारे में ही जानते हैं, पर और भी तरीके हैं इसके। तो आइए आज जानते हैं कि बर्थ कंट्रोल के अन्य क्या क्या तरीके हैं, जिसे आसानी से अपनाया जा सकता है।

डायाफ्राम : डायाफ्राम दरअसल लेटेक्स या सिलिकॉन से बना हुआ एक लचीली रिम वाला कप होता है जो डॉक्टरों की सलाह लेकर योनि के अंदर फिट किया जाता है, जिससे अंडे फ़र्टिलाइज़ ना हो सके। बता दें कि सेक्स के बाद डायाफ्राम को कम से कम 6 घंटों तक योनि के भीतर ही रखा जाता है।

वजाइनल रिंग : यह एक छोटी सी प्लास्टिक की रिंग होती है, जिसे योनि के अंदर लगाया जाता है। वजाइनल रिंग एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजेन जैसे हारमोंस को लगातार रक्त में मिलाती रहती है, जिससे प्रेगनेंसी को रोका जा सकता है।

इंट्रायूटरिन डिवाइस: यह लंबे समय तक चलने वाला गर्भनिरोधक है। यह कॉपर और हार्मोनल दोनों प्रकार के होते हैं और तीन साल से बारह साल तक इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
कॉन्डम : यह लेटेक्स या पॉलीयूरिथेन से बना हुआ पुरुष गर्भनिरोधक का तरीका है जो बर्थ कंट्रोल के साथ साथ यौन संचारित रोगों जैसे एचआईवी/एड्स से भी सुरक्षित रखता है।

गर्भनिरोधक गोलियां : गर्भनिरोधक गोलियां दरअसल दो प्रकार की होती हैं। एक है संयुक्त गोली जिसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टोजेन हार्मोन होते हैं जबकि दूसरा है, जिसमें केवल प्रोजेस्टोजेन हार्मोन होते हैं। इन दोनों को दिन में एक बार रोज सेवन करना होता है।

इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोलियां : इसे असुरक्षित यौन संबंध होने पर 72 घंटों के भीतर लेना होता है। इसमें मौजूद हार्मोन सिंथेटिक होता है इसलिए यह शरीर के लिए हार्मफुल भी होता है।

गर्भनिरोधक इंजेक्शन : इसे एक महीने में या फिर तीन महीने में एक बार डॉक्टर की सलाह पर लगवाना पड़ता है। यह गर्भनिरोधक गोलियों की तरह ही काम करता है। इसका असर 8 से 13 सप्ताह तक बना रहता है।

गर्भनिरोधक प्रत्यारोपण : गर्भनिरोधक प्रत्यारोपण छोटी और पतली प्लास्टिक की रॉड होती है, जिसे महिला की बांह की अंदरूनी त्वचा में फिट किया जाता है। इसमें ईटोनोगेस्ट्रेल हार्मोन होते हैं जो धीरे-धीरे रक्त में मिलता रहता है। यह अधिकतर 4 साल तक के लिए गर्भावस्था से सुरक्षा प्रदान करता है।

गर्भनिरोधक पैच : यह एक प्रकार का गर्भनिरोधक पैच होता है जिसे महिला अपने पेट, पीठ, बाँह और कूल्हे पर लगा सकती हैं। इसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोजेन हार्मोन होते हैं जो अंडों को अंडाशय से बाहर नहीं निकलने देते। एक पैच तीन सप्ताह तक सुरक्षा प्रदान करता है।

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