उत्तान मंडूकासन के लाभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें

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नई दिल्ली.
उत्तान मंडूकासन तीन शब्दों (उत्तान, मंडूक और आसन) के मेल से बना है। इसमें उत्तान का मतलब ऊपर की तरफ तना हुआ, मंडूक का अर्थ मेंढक और आसन का मतलब मुद्रा है। अगर आप रोजाना उत्तान मंडूकासन का अभ्यास करते हैं तो इससे आपको कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं।

-सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठें। इसे दौरान आपके दोनों पैरों के अंगूठे आपस में सटे हों और घुटने फैले हुए हो। अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाकर पीठे की ओर ले जाएं और अपनी हथेलियों को विपरीत कंधों के ऊपर रखें। इस स्थिति में आपकी पीठ और गर्दन सीधी होनी चाहिए। कुछ देर इसी मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।

-अगर किसी की कोहनी, पीठ, घुटने, रीढ़ की हड्डी या फिर कंधे में चोट लगी है या शरीर के अन्य किसी अंग में दर्द की समस्या है तो वह इस योगासन का अभ्यास न करें। वहीं अगर आपको पेट संबंधित कोई समस्या है या आपकी कोई सर्जरी हुई है तो भी इस योगासन का अभ्यास न करें। इस आसन के अभ्यास के दौरान अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगाएं क्योंकि इससे चोट लगने की संभावना बढ़ सकती है।

-इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है। यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी घटाने के लिए एक अच्छा आसन है। यह आसन पीठ और कंधों की मांसपेशियो को मजबूती प्रदान करता है। इस आसन के अभ्यास से ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर तरीके से होता है। यह आसन शरीर की संतुलन शक्ति को भी बढ़ाता है और यह गले से जुड़ी समस्याओं से राहत दिलाने में भी काफी मदद कर सकता है।

-किसी भी कठिन योगासन का अभ्यास करने से पहले उत्तान मंडूकासन करना लाभदायक साबित हो सकता है। अगर आप इस योगासन का अभ्यास पहली बार करने जा रहे हैं तो किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही ऐसा करें। जब आसन का अभ्यास छोड़ें तो किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें और धीरे-धीरे आसन का अभ्यास बंद करें। इस योगासन का अभ्यास करते समय ढीले कपड़े पहनें और खाली पेट रहें।

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