नई दिल्ली
देश भर में कोरोना के मरीज़ों में तेजी से ब्लैक फंगस यानि म्यूकरमाइकोसिस के मामले सामने आ रहे हैं। लोग ब्लैक फंगस से परेशान हैं। परेशान करने वाली यह दुर्लभ किस्म की बीमारी कोरोना से उभरे मरीजों में तेजी से पनप रही है। सबसे पहले भारत में गुजरात और राजस्थान में इस तरह के मामले सामने आए, लेकिन अब इसका प्रकोप उत्तर भारत में भी देखने को मिल रहा है। दरअसल, यह बीमारी उन लोगों को होती है जिनको पहले से ही कुछ मेडिकल प्रोब्लम है, जिसकी वजह से पर्यावरण में मौजूद संक्रमण से लड़ने की उनकी क्षमता कम होती है। खासकर डायबिटीज़ के मरीज़ों में वातावरण में मौजूद रोगजनक वायरस, बैक्टीरिया या दूसरेपैथोजन्स से लड़ने की क्षमता कम होती है।
अगर इसके लक्षणों की बात करें तो इस रोग में अभी तक सिर में बहुत ज्यादा दर्द, आंखों में रेडनेस, आंखों से पानी आना, आंखों के मूवमेंट का बंद हो जाना जैसी परेशानियां देखी गई हैं। इस बीमारी के लक्षणों में नाक जाम होना, आंखों और गालों पर सूजन या पूरा चेहरा की फूल जाना भी शामिल हैं। कई बार नाक पर काली पपड़ी जमने लग जाती है। आंखों के नीचे दर्द या सिर में दर्द और बुखार भी इसके लक्षण हैं। कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह इंफेक्शन नाक से शुरू होता है, जहां से यह ऊपरी जबड़े तक जाता है और फिर दिमाग तक पहुंच जाता है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बीमारी के बढ़ने के तीन प्रमुख कारण हैं, जिसमें कोरोना, डायबिटीज और स्टेरॉइड्स का बेलगाम इस्तेमाल शामिल है। पहले से ही कुछ बीमारियों से पीड़ित कोविड मरीज में दूसरे रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। मरीजों का शरीर बाहरी इंफेक्शन से मुकाबला नहीं कर पाता और इसी वक्त यह फंगस हमला बोलता है। इसके अलावा डायबिटीज के मरीजों पर इसका दोगुना खतरा होता है। तीसरा कारण स्टेरॉइड्स का ज्यादा इस्तेमाल है, जिसका कोरोना के इलाज में भी उपयोग होता है। इससे भी प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है।
आप इस बीमारी से बचना चाहते हैं तो-
-हाइपरग्लाइसीमिया यानी खून में शर्करा की मात्रा को कंट्रोल करें।
-कोविड से रिकवर होने के बाद डायबिटीज़ में ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को मॉनिटर करते रहें।
-स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल समझदारी से करें।
-ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडीफायर्स में साफ, स्टराइल पानी का इस्तेमाल करें।
एंटीबायोटिक्स या एंटी फंगल दवाइयों का इस्तेमाल सोच समझकर करें।