सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को शापूरजी पलोनजी ग्रुप के सायरस मिस्त्री जोर का झटका दिया। कोर्ट ने टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा संस लिमिटेड और शापूरजी पलोनजी ग्रुप के सायरस मिस्त्री के मामले में एनसीएलएटी (NCLAT) यानी राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि मिस्त्री को टाटा संस को चेयरमैन पद से हटाना कानूनी तौर पर सही है।
साथ ही कोर्ट ने कहा कि शेयरों का मामला टाटा और शापूरजी पलोनजी ग्रुप मिलकर निपटाएं। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज इस मामले में अपना फैसला सुनाया। इस बेंच में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम भी शामिल रहे हैं।
17 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था। आपको बता दें कि टाटा संस ने एनसीएलएटी के 18 दिसंबर, 2019 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। एनसीएलएटी ने टाटा संस लिमिटेड के चेयरमैन के रूप में सायरस मिस्त्री की बहाली का आदेश दिया था। टाटा संस की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी 2020 को एनसीएलएटी के आदेश पर कोर्ट ने रोक लगा दी थी। मिस्त्री परिवार की टाटा सन्स में 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी है। मिस्त्री टाटा ट्रस्ट के बाद टाटा संस में दूसरे बड़े शेयर धारक हैं।
एनसीएलएटी ने 18 दिसंबर 2019 के अपने फैसले में कहा था कि 24 अक्टूबर 2016 को टाटा संस की बोर्ड बैठक में चेयरपर्सन के पद से साइयस मिस्त्री को हटाना गैर-कानूनी था। एनसीएलएटी यह भी निर्देश दिया था कि रतन टाटा को पहले से ऐसा कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए, जिसमें टाटा संस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स या एजीएम (AGM) में बहुमत की आवश्यकता होती है।
दिसंबर 2012 में सायरस मिस्त्री ने टाटा संस के चेयरमैन का संभाला था और कंपनी के बोर्ड ऑफ डारेक्टर्स के बहुमत से 24 अक्टूबर 2016 को उन्हें इस पद से हटा दिया गया था। इसके बाद छह फरवरी 2017 को बुलाई गई एजीएम में शेयर धारकों ने मिस्त्री को टाटा संस के बोर्ड से हटाने के लिए वोट किया। उसके बाद से एन. चंद्रशेखरन ने टाटा संस के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन का पद संभाल रहे हैं।