फोटो सोशल मीडिया

तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 81वां दिन है। किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए है। इस बीच, हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने विवादास्पद बयान दिया है। दलाल ने कहा है कि यदि किसान घर पर होते तो उनकी मौत नहीं होतीं। क्या छह महीने में 200 लोग भी नहीं मरेंगे? किसानों की मौतें उनकी इच्छा से हुई है। हालांकि बाद में उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी और कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।

वहीं गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों के ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद किसान संयुक्त मोर्चा ने अंदरूनी निगरानी बढ़ा दी है। मोर्चा ने ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने के लिए करीब 150 के करीब वालंटियर को तैनात किया है। ये वालंटियर लाठी और वॉकी टॉकी के साथ जगह-जगह तैनात किए हैं।

किसानों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने को लेकर 18 फरवरी को देशभर में रेल रोको आंदोलन चलाएंगे। इसे देखते हुए रेलवे प्रशासन ने सोनीपत रेलवे स्टेशन परिसर और रेलवे ट्रैक पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है।

किसान 18 फरवरी को चार घंटे के रेल रोको आंदोलन को लेकर भी रणनीतियां बनाने में जुटे हैं। किसान आंदोलन के आगे की रणनीति पर अंतिम फैसला संयुक्त मोर्चा की बैठक में होगा। किसानों आह्वान किया है कि किसी भी कीमत में आंदोलन स्थल पर अशांति न हो और आवागमन व्यवस्था बेहतर रहे।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि विवादित कृषि कानूनों का विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक कि सरकार हमारी मांगें नहीं मान लेती है। उन्होंने कहा कि गर्मियों में धरना स्थलों पर टिकने के लिए किसानों को एसी और कूलर की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में सरकार को बिजली कनेक्शन देना चाहिए, नहीं तो हमें जेनरेटर लगाने पड़ेंगे।

उधर, महात्मा गांधी की पोती तारा गांधी भट्टाचार्य ने शनिवार को गाजीपुर बॉर्डर जाकर किसान आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने किसानों से कहा कि आपका आंदोलन सच्चा है। मैं सच के साथ हूं और हमेशा रहूंगी।

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