तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 41वां दिन है। कड़ाके की सर्दी,दो तीन दिनों से हो रही बारिश तथा कोरोना की संकट के बीच किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए है। किसानों की मांगों को लेकर सरकार तथा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच सोमवार को 8वें दौर की बातचीत हुई। उम्मीद की जा रही थी कि इस बैठक में समाधान निकल जाएगा तथा किसानों का आंदोलन समाप्त हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार तथा किसानों के बीच आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही।
बैठक के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पूछा कि एमएसपी (MSP) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य में क्या दिक्कतें हैं। इसके जवाब में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार सभी फसलों की एमएसपी की गारंटी दे। इस पर तोमर ने कहा कि हम तैयार हैं, आप पॉइंट बताएं। हमें अपना होम वर्क करना पड़ेगा। तोमर के इस कथन पर किसान नेता ने कहा कि आठ दौर की बातचीत हो चुकी और कितना समय चाहिए। बैठक समाप्त होने के बाद कृषि मंत्री तोमर ने मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुअ कहा कि एक हाथ नहीं, दोनों हाथ से बजती है।
सरकार तथा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच सोमवार को करीब चार घंटे बैठक चली। इस दौरान सरकार कानूनों में बदलाव की बात दोहराती रही, जबकि किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे। अब इस मुद्दे पर सरकार तथा किसानों के बीच आठ जनवरी को नौवें दौर की बातचीत होगी। इससे पहले किसान संगठन छह जनवरी को कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस वे पर ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।
इस बैठक के दौरान बातचीत से पहले सरकार और किसान नेताओं ने आंदोलन के दौरान जान गंवा चुके किसानों के लिए दो मिनट का मौन रखा, लेकिन यह बात यहीं तक सीमित रह गई। अब किसी किसान की मौत न हो और आंदोलन का समाधान निकाला जाए, इसकी कोई कोशिश बैठक के दौरान नहीं दिखी। आपको बता दें कि 30 दिसंबर को सरकार तथा किसानों के बीच हुई सातवें दौर की बातचीत के दौरान तीन केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों के साथ लंगर का खाना खाया था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस बार भी किसानों ने सरकारी खाना खाने से इनकार कर दिया। किसानों के प्रतिनिधियों ने कहा कि आप अपना खाना खाएं, हम अपना खाएंगे।