Old compass on vintage map with rope closeup. Retro stale

दिल्लीः 06 जून खुशी और गम दोनों तरह की घटनाओं की वजह से इतिहास के पन्नों में दर्ज है। सबसे पहले बात करते हुए खुशी की। क्रिकेट की दुनिया में 06 जून वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा की वजह से स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। 1994 में 06 जून को वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान ब्रायन लारा ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सबसे बड़ी पारी खेलने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। काउंटी चैंपियनशिप में वार्विकशायर के लिए खेलते हुए डरहम के खिलाफ लारा ने नाबाद 501 रन की पारी खेली। बाएं हाथ के इस दिग्गज बल्लेबाज ने अपनी इस पारी में 62 चौके और 10 शानदार छक्के जड़े । इस दौरान उन्होंने 427 गेंदों का सामना किया।

इस मुकाबले में डरहम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए आठ विकेट पर 556 रन बनाकर पारी घोषित की। इसके बाद वार्विकशायर की टीम बल्लेबाजी करने मैदान पर उतरी। उसने महज 8 रन के स्कोर पर अपना पहला विकेट गंवा दिया। तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतरे लारा ने शुरुआती झटके के बाद अपना खूंटा गाड़ दिया। यहां उन्होंने क्रीज पर इस तरह से अपना पैर जमाया की डरहम के गेंदबाजों को लारा ने आउट करने का एक भी मौका नहीं दिया।

लारा की इस दमदार पारी के बदौलत वार्विकशायर की टीम ने 810 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया। हालांकि मुकाबले का नतीजा ड्रॉ रहा, लेकिन लारा की बल्लेबाजी की चमक से दुनिया चकाचौंध हो गई। अपनी विस्फोट बल्लेबाजी से दुनियाभर के गेंदबाजों को पानी पिलाने वाला वेस्टइंडीज का यह दिग्गज खिलाड़ी साल 2007 में इंटरनेशल क्रिकेट को अलविदा कह गया। उन्होंने अपने इंटरनेशनल करियर में कुल 22,358 रन बनाए।

अब बात करते हैं गम की घटना की। आज के 41 साल पहले बिहार के खगड़िया जिले में मानसी- सहरसा रेल खंड पर बदला घाट और धमारा घाट के बीच रेल हादसे में 800 से ज्यादा लोग काल के गाल में समा गए थे। हालांकि सरकारी आंकड़ा 300 का था। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह अलग तरह की दुखद घटना थी जिससे बरबस हर साल 6 जून की दुखद याद ताजी हो जाती है। 1981 के जून महीने की 6वीं तारीख आज भी उन परिवारों को पीड़ा दे जाती है, जिन लोगों ने अपनों को खोया था। पैसेंजर ट्रेन के 9 डिब्बे में नदी में गिर गए थे, जिसमें 1 हजार से ज्यादा लोग सवार थे। खास बात यह है कि इस हादसे के बारे में सही कारण क्या थे आज तक पता नहीं चल सका है।

छह जून को शाम के वक्त मानसी से पैसेंजर ट्रेन सहरसा की तरफ जा रही था। बागमती नदी के पुल संख्या 51 से ट्रेन आगे बढ़ रही थी, लेकिन ट्रेन लहराकर उफनती हुई बागमती नदी में गिर गई। लोगों की मौत हुई थी उसमें ज्यादातर लोगों को तैरने नहीं आता था। जो लोग बच गए वो जब उस मंजर के बारे में बताते हैं तो रूह कांप जाती है। कुछ लोग विशुद्ध तौर पर ड्राइवर की लापरवाही बताते हैं तो कुछ लोग कहते हैं कि जिस तरह की परिस्थिति थी उसमें हादसे को टालना असंभव था।

लोग कहते हैं कि आंधी और बारिश दोनों थी। ट्रेन अपनी लय में सहरसा की तरफ बढ़ रही थी। आंधी से बचने के लिए ट्रेन की खिड़कियों को यात्रियों ने बंद कर लिया था। ट्रैक पर एकाएक मवेशी आ गए और उन्हें बचाने के लिए ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल किया था और लहराकर नदी में गिर गई। अब सवाल यह है कि क्या इमरजेंसी ब्रेक के इस्तेमाल से ट्रेन नदी में गिर गई।

इस सवाल के जवाब में कुछ अंधिविश्वास है तो कुछ वैज्ञानित तथ्य। कुछ लोग कहते हैं कि वह अभिशापित पुल था। बहुत बार उस पुल पर छोटे मोटे हादसे सुनने को मिलते थे। हालांकि इसका कोई आधार नहीं है। इसके इतर कहा जाता है कि जब सभी यात्रियों ने ट्रेन के दरवाजों के साथ खिड़कियों को बंद कर लिया तो उसकी वजह से ट्रेन आंधी के दबाव को नहीं झेल सकी। ट्रेन स्पीड में थी और इमरजेंसी ब्रेक लगा तो ट्रेन अनियंत्रित होकर पुल से गिर गई।

इतिहास में 6 जून आतंकवाद के खात्मे की वजह से भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। दरअसर अज के ही सिखों को एक गहरा जख्म देकर गया। इस दिन स्वर्ण मंदिर में सेना का ऑपरेशन ब्लूस्टार खत्म हुआ। अकाल तख्त हरमंदिर साहिब की तरफ बढ़ती सेना का जरनैल सिंह भिंडरावाले और खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों ने जमकर विरोध किया और इस दौरान दोनों तरफ से भीषण गोलीबारी हुई।

भारी खूनखराबे के बीच अकाल तख़्त को भारी नुकसान पहुंचा और कई सदियों में पहली बार ऐसा हुआ कि हरमंदिर साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ नहीं हो पाया। पाठ न हो पाने का यह सिलसिला 6, 7 और 8 जून तक चला। 6 जून के नाम पर एक और ऐतिहासिक घटना भी दर्ज है। वह 6 जून का ही दिन था, जब मुगलों के साम्राज्यवादी सपनों को हकीकत में बदलने से रोकने के लिए भारत के महान सपूत छत्रपति शिवाजी का रायगढ़ के किले में राज्याभिषेक हुआ था और उन्हें छत्रपति की उपाधि से नवाजा गया था। आइए एक नजर डालते हैं देश और दुनिया में 06 जून को घटित हुईं महत्वपूर्ण घटनाओं पर

1520 : फ्रांस और इंग्लैंड ने स्कॉटलैंड संधि पर हस्ताक्षर किए।
1556 : सिखों के गुरु श्री हरगोविंद सिंह का जन्म हुआ।
1674 : छत्रपति शिवाजी महाराज (शिवाजी राजे भोसले) का रायगढ़ के किले में राज्याभिषेक।
1699 : मुगल बादशाह आलमगीर द्वितीय का जन्म हुआ।
1808 : नेपोलियन बोनापार्ट के भाई जोसफ को स्पेन का राजा बनाया गया।
1829 : अंग्रेज अधिकारी ह्यूम एओ का जन्म हुआ।
1882 : न्यूयॉर्क के हेनरी डब्ल्यू सिले ने इलेक्ट्रिक आयरन का पेटेंट लिया।
1901 : इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सुकर्णो जन्म हुआ।
1916 : अमेरिका के ईस्ट क्लीवलैंड में महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला।
1919ः फिनलैंड ने बोलशेविक के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
1926 : मिस्र में एडली पाशा के नेतृत्व में सरकार बनी।
1929 : अभिनेता सुनील दत्त का जन्म हुआ।
1944 : नाजी सेना के फायरिंग दस्ते ने 96 कैदियों की हत्या की।
1966 : अमेरिका के मिसिसिपी विश्वविद्यालय में रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाने वाले पहले अश्वेत मानवाधिकार कार्यकर्ता जेम्स मेरिडिथ पर एक व्यक्ति ने गोली चलाई।
1967 : इजरायल की सेना का गाजा पर कब्जा।
1968 : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जन्म हुआ।
1972 : अमेरिका ने उत्तरी वियतनाम के हेफोंग पर बमबारी की। हजारों लोग मारे गए।
1975 : दक्षिणी वियतनाम में अस्थाई क्रांतिकारी सरकार का गठन।
1981 : बिहार में बाघमती नदी में ट्रेन गिरी। 800 लोगों की मौत।
1994 : वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज ब्रायन लारा ने प्रथम श्रेणी मैच के इतिहास की सर्वाधिक 501 रन की पारी खेली।
1995 : पाकिस्तान में बाल अपराधियों को कोड़े मारने अथवा उनकी फ़ांसी की सजा पर प्रतिबंध।
1997ः बैंकॉक में भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका एवं थाईलैंड ने ‘बिस्टेक’ नामक आर्थिक सहयोग समूह का गठन किया।
2001 : नेपाल के शाही परिवार पर गोलियाँ दीपेन्द्र ने ही चलाई थीं, प्रत्यक्षदर्शी रिश्तेदार राजीव शाही का प्रेस में बयान दिया।
2002 : इजरायली सेना ने रामल्ला में फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात के मुख्यालय पर हमला किया।
2004 : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगल निधन हुआ।
2005 : ईरान गैस पाइप लाइन योजना पर भारत और पाकिस्तान में सहमति।
2007 : दक्षिण अफ्रीका की नस्ल विरोधी नेता विनी मैडिकिजेला मंडेला के कनाडा प्रवेश पर प्रतिबंध।
2008 : कर्नाटक में बीएस येदयुरप्पा की अगुवाई वाली पहली भाजपा को विश्वास मत हासिल।
2008 : अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में जापानी लैव कीबो ने कार्य करना शुरू किया।

 

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