तिरुवनंपुरमः केरल की महिलाओं के ग्रुप पर बनी फिल्म द केरल स्टोरी की रिलीज पर रोक लगाने से केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि फिल्म इस्लाम के खिलाफ नहीं है, बल्कि इस्लामिक स्टेट पर ISIS पर है। ट्रेलर में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। वहीं, सुनवाई के दौरान प्रोड्यूसर ने दलील दी कि यह फिल्म 32,000 नहीं, 03 महिलाओं की कहानी है।

हाईकोर्ट ने कहा कि केरल का धर्मनिरपेक्ष समाज फिल्म को उसी रूप में देखेगा, जैसी वह है। फिल्म एक कथा है, न कि इतिहास, तो समाज में सम्प्रदायवाद और संघर्ष कैसे पैदा करेगी? सिर्फ फिल्म दिखाए जाने से कुछ नहीं होगा। फिल्म में आपत्तिजनक कुछ भी नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि यह कहने में क्या गलत है कि अल्लाह ही एक भगवान है? हमारा देश नागरिकों को अपने धर्म और भगवान पर विश्वास करने का अधिकार देता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि ट्रेलर में क्या आपत्तिजनक था? चलिए अब आपको बताते हैं कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्या कहा…

  • देश में फ्रीडम ऑफ स्पीच नाम की भी कोई चीज है। फिल्म कलाकारों के पास कलात्मक स्वतंत्रता होती है। हमें उसे भी बैलेंस करना होगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि फिल्म में ऐसा क्या है जो इस्लाम के खिलाफ है? किसी धर्म के खिलाफ कोई आरोप नहीं है, बल्कि केवल आईएसआईएस संगठन के खिलाफ है।
  • कोर्ट ने कहा कि फिल्म निर्माताओं ने ट्रेलर में ही बता दिया है कि यह फिल्म काल्पनिक है। अगर फैक्ट की बात करें तो भूत नाम की कोई चीज नहीं होती, लेकिन कई फिल्में भूतों को लेकर बनाई जा रही हैं। साथ में कोर्ट ने कहा कि ऐसी कई फिल्में बनाई गई हैं, जिनमें हिंदू सन्यासियों को तस्कर और बलात्कारी के रूप में दिखाया गया है। फिर भी कोई कुछ नहीं कहता। बहुत पहले एक फिल्म बनी थी, जिसमें एक पुजारी एक मूर्ति पर थूकता है और इससे किसी को कोई समस्या नहीं हुई। क्या आप कल्पना कर सकते हैं? बाद में इसी फिल्म को फेमस अवॉर्ड भी दिया गया।
  • वहीं याचिकार्ताओं ने कहा कि आजकल लोगों के दिमाग पर किताबों की तुलना में कहीं अधिक फिल्मों का प्रभाव पड़ता है। मैं भी स्वतंत्रता का प्रबल समर्थक हूं, लेकिन अगर स्वतंत्रता के नाम पर निर्दोष लोगों के दिमाग में जहर घोला जा रहा है तो ऐसी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।
  • फिल्म को देखने के बाद कई पेरेंट्स सोचेंगे कि मैं अपने बच्चों को ऐसे हॉस्टल में नहीं भेजूंगा, जहां मुस्लिम छात्र रहते हैं, क्योंकि उन्हें डर लगेगा कि कहीं उनके बच्चे भी परिवर्तित न हो जाएं। जब ​​फिल्म वाले कहते हैं कि यह एक सच्ची कहानी है, तो माता-पिता की मानसिकता क्या होगी

आपको बता दें कि केल उच्च न्यायालय ने फिल्म की रिलीज को चुनौती देने वाली 6 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। सुनवाई जस्टिस एन नागरेश और जस्टिस सोफी थॉमस की बेंच ने की है। सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट, रिलीज और बैन की मांग वाली याचिकाएं पहले ही खारिज कर चुके हैं।05 मई यानी आज रिलीज होने वाली इस फिल्म पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से लेकर शशि थरूर तक ने सवाल खड़े किए हैं।

द केरल स्टोरी पर बैन लगाने की मांग को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में भी एक याचिका लगाई गई थी। जिसमें दावा किया गया था कि फिल्म के रिलीज होने से देश में धार्मिक सद्भाव और सार्वजनिक शांति भंग हो जाएगी। इसे जस्टिस एडी जगदीश चंदिरा और जस्टिस सी सरवनन की वेकेशन बेंच ने खारिज कर दिया।

कोर्ट ने कहा, ‘आप लास्ट मोमेंट पर क्यों आ रहे हैं? अगर पहले आते तो हम किसी को फिल्म देखने और फैसला करने के लिए कह सकते थे। आप फिल्म देखे बिना भी आए हैं। केरल हाईकोर्ट पहले से ही इसी तरह की चुनौती पर सुनवाई कर रहा है।’

केरल स्टोरी से जुड़ा विवाद क्या हैः  
द केरल स्टोरी, केरल की महिलाओं के ग्रुप के बारे में बनी फिल्म है जो इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) में शामिल हो जाता है। फिल्म 5 मई यानी शुक्रवार को रिलीज हो गई है। CBFC ने फिल्म की रिलीज से पहले इसमें 14 कट लगाने को कहे थे।

26 अप्रैल को इसका ट्रेलर रिलीज हुआ। 2 मिनट 45 सेकेंड के ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे कॉलेज जाने वाली 3 लड़कियां एक आतंकी संगठन से जुड़ जाती हैं।

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