दिल्लीः दिल और दिमाग में हमेश छत्तीस का आंकड़ा रहता है। जैसे उत्तर और दक्षिण दिशा कभी एक साथ मिल सकते, ठीक उसी तरह से दिल और दिमाग कभी एक साथ नहीं रहते हैं। दिल जब किसी की चाह की गिरफ्त में आ जाता है, तो न चाहते हुए भी बार-बार उसका ख्याल आता है। नजर मोबाइल स्क्रीन पर रहती हैं। वह दूर ही सही, लेकिन उसकी खैरियत की दुआ हर इबादत में होती है। कुछ ऐसा ही अहसास होता है पहले प्यार का, फिर यही रिश्ता जब टूट जाता है तब ताउम्र साथ न रह पाने का गम रहता है। लेकिन अब सवाल यह कि क्या हकीकत में दिल टूटता है? अगर हां, तो आखिर क्यों? चलिए आज हम इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं।

अक्सर हम कहते हैं कि दिल टूटने की आवाज नहीं आती। इस पर कोई यह भी कह सकता हैं कि दिल कोई कांच का बना है जो टूटे और छन से आवाज भी सुनाई दे। हकीकत यह है कि छोटा-सा दिल सिर्फ कवि की कल्पना में नहीं टूटता। वह सच में भी टूटता है। इसे ताकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी यानी ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम कहते हैं। यही ब्रेकअप का कारण भी बनता है।

दिल पर किसी का बस नहीं चलता है। प्यार सोच समझकर नहीं किया जाता है। किससे और कब प्यार होगा इसका भी कोई टाइम फिक्स नहीं होता। प्यार जताने का भले ही सही समय और मुहूर्त न हो, लेकिन ब्रेकअप करने का टाइम फिक्स होता है। भारत में ब्रेकअप वैलेंटाइन डे के अलावा कॉलेज में नए सेशन की शुरुआत के वक्त, समर हॉलीडे और मैरिज सीजन के वक्त होता है। यह वह समय है जब नए लोगों से मुलाकात होती है और नए रिश्ते बनते हैं। विदेशों में क्रिसमस के वक्त सबसे ज्यादा ब्रेकअप होते हैं।

अब सवाल यह उठता है कि वैलेंटाइन डे के समय ही ब्रेकअप क्यों? तो जान लीजिए इसका बड़ा ही सिंपल रीजन है। यह वह समय है जब लवर्स अपने पूरे साल की भड़ास ब्रेकअप कर निकालते हैं। किसने किसके साथ क्या अच्छा किया, क्या बुरा किया यह भी गिफ्ट से तय होता है, इसलिए कुछ लोगों पर इस बात का भी असर होता है कि परफेक्ट गिफ्ट क्या दें। अगर दोनों में से किसी एक को लगा कि गिफ्ट उनके एक्सपेक्टेशन से कम है तो ब्रेकअप पक्का। प्लान कर भी ब्रेकअप वैलेंटाइन डे पर किया जाता है। यानी, इस मौके का फायदा उठाकर लोग नए रिश्ते के लिए पुराना रिश्ता तोड़ देते हैं।

वहीं अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इथान क्रॉस की रिसर्च के मुताबिक लव हार्मोन का बहाव रुक जाता है। दरअसल ऑक्सीटोसिन और डोपामाइन हमारे शरीर में दो लव हार्मोन होते हैं। ब्रेकअप के बाद इन दोनों हार्मोन का बहाव रुक जाता है। इसके बाद दिमाग में एपिनेफ्रीन और कार्टिसोल हार्मोन रिलीज होते हैं। इन दोनों हार्माेन को स्ट्रेस हार्मोन कहते हैं। स्ट्रेस हार्माेन मांसपेशियों में रक्त प्रवाह को बढ़ा देता है। इससे मांसपेशियों में तनाव होता है। एक्शन हार्मोन एक्टिव होते हैं और इंसान गुस्से में गलत कदम उठा सकता है।

ब्रेकअप हेल्पलाइन के फाउंडर अभिनव कहते हैं कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तरप्रदेश के युवा ब्रेकअप के बाद ज्यादा सीरियस हो जाते हैं। उनकी तुलना में नगालैंड, कनार्टक के युवा कम सीरियस होते हैं। हिंदी बेल्ट के ग्रामीण इलाके से सबसे अधिक कॉल हमारे पास आते हैं। ब्रेकअप की वजह कई बार बेहद मामूली होती है। कभी कोई दूसरा पसंद आ जाता है, तो कभी गिफ्ट महंगी चाहिए होती है। लड़का वह दे नहीं पाता और लड़की छोड़कर चली जाती है।

गांव के लोग एक बार जिससे प्यार कर बैठते हैं उसके साथ पूरी जिंदगी गुजारना चाहते हैं। ऐसे में ब्रेकअप के बाद दिल टूट जाता है। कई दिनों तक वे डिप्रेशन में रहते हैं। शिक्षित राज्यों में ‘मूव ऑन’ का चलन है। एक बार दिल टूटता है तो कुछ दिनों के बाद ही दूसरे पर आ भी जाता है। करियर भी इन लोगों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की प्यार।

इस मामले में हर व्यक्ति के साथ स्थिति अलग-अलग होती है। कोई जल्दी ठीक हो जाता है। कुछ को थोड़ा समय लगता है। जिनकी स्थिति गंभीर है उनमें ये शिकायत दिखती हैं–

  • धड़कन टूटने लगती है।
  • हार्ट बीट कभी तेज होती है तो कभी धीमी।
  • बार-बार ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम होने का खतरा रहता है।

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