supreme Court

दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः  अदालतें सैरगाह नहीं है कि जब मर्जी चले आएं। यह तल्ख टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने की है। कोर्ट ने कहा है कि  राज्य सरकारें अपील दायर करने में जान-बूझकर देरी करती हैं, क्योंकि इन्हें अदालतें सैरगाह नजर आती हैं। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने आज मध्य प्रदेश सरकार की एक विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी और 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

इस दौरान कोर्ट  तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकारें अपील दायर करने में जान-बूझकर देरी करती हैं, ताकि उन्हें यह कहने का बहाना मिल जाए कि याचिका खारिज हो गई। बेंच ने कहा कि लिमिटेशन पीरियड की अनदेखी करने वाली राज्य सरकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट को सैरगाह की जगह नहीं हो सकती कि जब मन में आया, चले आए।  कोर्ट ने  कहा कि राज्य सरकारों को ‘न्यायिक वक्त बर्बाद करने को लेकर खामियाजा भुगतना चाहिए’ तथा इसकी कीमत जिम्मेदार अधिकारियों से वसूली जानी चाहिए। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से ‘भेरू लाल मामले’ में 663 दिनों की देरी से अपील दायर की गई थई।

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