दिल्ली डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के मद्देनजर बैंक ऋण मोरेटोरियम मामले में केंद्र की ओर से दायर हलफनामा  को संतोषजन नहीं माना है। कोर्ट ने सरकार से नया हलफनाम दायर करने को कहा है। इसके लिए कोर्ट ने केंद्र को एक सप्ताह का समय दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। 

जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि ‘ब्याज पर ब्याज’ माफी को लेकर केंद्र द्वारा दाखिल किया गया हलफनामा संतोषजनक नहीं है। बेंच ने केंद्र सरकार और आरबीआई के अलावा इंडियन बैंक एसोसिएशन तथा निजी बैंकों को नया हलफनामा दायर करके संबंधित मामले में नीतिगत निर्णय, अंतिम अवधि, इससे जुड़े सर्कुलर आदि को स्पष्ट करने को कहा है। 

याचिकाकर्ताओं की ओर से सुनववा्ई के दौरान दलील दी गई कि केंद्र की ओर से दो अक्टूबर को दायर शपथपत्र में कई मुद्दों पर चुप्पी साधी गई है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव दत्ता ने कहा कि हलफनामा में दो करोड़ रुपये तक के ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज को माफ करने का सरकार ने जिक्र तो किया है, लेकिन इससे संबंधित किसी भी नीतिगत फैसले को रिकॉर्ड में अभी नहीं लाया गया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील का संज्ञान लिया।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने दो करोड़ रुपये तक के लोन पर ‘ब्याज पर ब्याज’ माफ करने को कहा था। इसका बोझ खुद केंद्र सरकार उठाएगी, जो अनुमानित तौर पर 5,000 से 7,000 करोड़ रुपये होगा। इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह रियल एस्टेट और बिजली उत्पादकों को भी इसके दायरे में लाएं।

जस्टिस भूषण ने सरकार से कहा कि फैसले के ऐलान के बाद केंद्र या आरबीआई की तरफ से ‘कोई परिणामी आदेश या सकुर्लर क्यों  नहीं जारी किया गया। केंद्र सरकार ने गत शुक्रवार को शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर करके बताया था कि वह छोटे कारोबार, शिक्षा, हाउसिंग और क्रेडिट कार्ड समेत कुछ ऋणों के लिए मोरेटोरियम की अविध के दौरान लगने वाले चक्रवृद्धि ब्याज को माफ करेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here