जेनरल डेस्क

प्रखर प्रहरी

दिल्लीः हल्दी बेहद गुणकारी होती है। यदि आप आर्थराइटिस से जूझ रहे हैं तो डाइट में हल्दी को जरूर शामिल करें। हल्दी जोड़ों का दर्द दूर करने में पेनकिलर का काम करती है। ऑस्ट्रेलिया के एक शोध के अनुसार हल्दी घुटनों के दर्द से राहत दिलाने में कारगर साबित हुई है।ऑस्ट्रेलिया की टेजमेनिया यूनिवर्सिटी में हल्दी के गुणों को समझने के लिए आर्थराइटिस के 70 मरीजों पर रिसर्च की गई। जिन मरीजों पर इसके असर को परखा गया, वे सभी घुटनों के दर्द से जूझ रहे थे और इनके जोड़ों के अंदरूनी हिस्से में सूजन भी थी। ऐसे मरीजों को 12 हफ्तों तक रोजाना हल्दी के दो कैप्सूल दिए गए। तीन महीने बाद पाया गया कि जिन मरीजों को हल्दी नहीं दी गई उनमें दर्द बरकरार रहा, जबकि जिन मरीजों को हल्दी दी गई उन्हें दर्द के छुटकारा मिल गया।

अमेरिका के एन्नल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक घुटने के दर्द से जूझ रहे जिन मरीजों ने हल्दी का सप्लिमेंट लिया उनमें दर्द कम हुआ। इस दौरान उनमें कोई साइडइफेक्ट नहीं दिखा। वहीं जिन मरीजों को हल्दी नहीं दी गई उनमें दर्द बरकरार रहा। रिपोर्ट में बताया है कि हल्दी लेने वालों मरीजों के घुटने की स्कैनिंग करने पर पता चला कि अंदरूनी तौर पर फर्क नहीं पड़ा लेकिन दर्द जरूर कम हुआ। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस पर और बड़े स्तर पर परीक्षण करने की जरूरत है।

कैंसर से बचाती है हल्दीः-

केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस ने हल्दी से कैंसर के इलाज का अमेरिकी पेटेंट हासिल किया है। इंस्टीट्यूट का दावा है कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिन तत्व से कैंसर का इलाज किया जा सकता है। इंस्टीट्यूट के मुताबिक, कैंसर के ट्यूमर को शरीर से हटाने बाद हल्दी से इलाज किया जाएगा ताकि ट्यूमर खत्म करें और शरीर में फैलने से रोका जा सके।

प्रमुख शोधकर्ता डॉ. लिसी कृष्णन के अनुसार हल्दी में मौजूद करक्यूमिन आसानी से शरीर में अवशोषित होता है और कैंसर से लड़ता है। कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए ट्यूमर वाले हिस्से में सीधे करक्यूमिन रिलीज किया जाएगा। यह सामान्य कोशिकाओं को नुकसान न पहुंचाकर सीधे सीधे कैंसर कोशिकाओं पर हमला करेगा। कई रिसर्च में भी यह साबित हो चुका है कि यह कैंसर कोशिकाओं को खत्म करता है।

इससे पहले भी हल्दी पर शोध हुए, जिसमें इसके कई फायदे बताए गए हैं-
– हल्दी रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाती है: आयुर्वेद के अनुसार हजारों सालों से हल्दी का इस्तेमाल दवा के तौर पर भी किया जा रहा है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेट्री और एंटीऑक्सीडेंट्स हैं। कोरोनाकाल में आयुर्वेद विशेषज्ञ भी हल्दी वाला दूध पीने की सलाह दे रहे हैं।
– हल्दी ब्रेन को सेहतमंद रखती है। इसमें मौजूद करक्यूमिन ब्रेन में हार्मोन का स्तर बढ़ाती है जिससे मस्तिष्क में नई कोशिकाएं पैदा होती हैं। अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा भी घटता है।
– हल्दी डिप्रेशन दूर करने में भी मददगार है। 60 लोगों पर हुई एक रिसर्च में पाया गया कि करक्यूमिन एक तरह से एंटीडिप्रेसेंट का काम करता है। जो डिप्रेशन को कम करने में मदद करता है। रिसर्च में प्रमाण मिले कि यह इंसान को खुश रखने वाले हार्मोंस जैसे डोपामाइन को रिलीज करने में मदद करता है।

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